Himachal Pradesh News:  हिमाचल प्रदेश के राज्य सचिवालय के कमरा नंबर 202 ने अपने इतिहास को एक बार फिर दोहराया है. सचिवालय के कमरा नंबर 202 में बैठने वाले कैबिनेट मंत्री को एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा. साल 2017 में हिमाचल प्रदेश सरकार में जनजातीय विकास मंत्री रहे डॉ. रामलाल मारकंडा को यह कमरा मिला था. 


साल 2022 के विधानसभा चुनाव में लाहौल स्पीति विधानसभा क्षेत्र से मारकंडा को हार का मुंह देखना पड़ा.यह पहली बार नहीं है, जब इस कमरे में बैठने वाले कैबिनेट मंत्री को हार का सामना करना पड़ा हो. इससे पहले भी यहां बैठने वाले कैबिनेट मंत्री अपना अगला चुनाव हारते आए हैं.


कमरा नंबर- 202 में बैठने वाले यह कद्दावर नेता हारे 


इससे पहले साल 1998 में यह कमरा बीजेपी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर मिला था. साल 2003 के विधानसभा चुनाव में जगत प्रकाश नड्डा की हार हो गई. उन्हें तिलक राज शर्मा से हार का मुंह देखना पड़ा. साल 2003 में यह कमरा कांग्रेस नेता आशा कुमारी के हिस्से में आया. इसके बाद पहले आशा कुमारी को जमीन से जुड़े एक मामले में साल 2005 में मंत्री पद गंवाना पड़ा और फिर साल 2007 में वो बीजेपी नेता रेनू चड्डा से चुनाव हार गईं.


'स्माइलिंग लीडर' सुधीर शर्मा भी हारे थे चुनाव


साल 2007 में यह कमरा बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा को मिला. उनको साल 2012 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर के पोते रोहित ठाकुर के सामने हार का स्वाद चखना पड़ा. हिमाचल प्रदेश राज्य सचिवालय के इस कमरे में 'स्माइलिंग लीडर' सुधीर शर्मा को भी नहीं छोड़ा था. हिमाचल कांग्रेस के कद्दावर नेता पंडित संतराम के बेटे सुधीर शर्मा साल 2012 में शहरी विकास मंत्री के तौर पर इस कमरे के मालिक बने. इसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सुधीर शर्मा को भी हार का सामना करना पड़ा.


अग्निपरीक्षा में विफल रहे डॉ. रामलाल मारकंडा!


साल 2022 में इस कमरे में कैबिनेट मंत्री के तौर पर बैठने वाले डॉ. राम लाल मारकंडा की अग्निपरीक्षा थी. मारकंडा भी इस अग्निपरीक्षा में सफल नहीं हो सके और, उन्हें चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. डॉ. रामलाल मारकंडा को कांग्रेस के रवि ठाकुर ने एक हजार 616 वोट से हराया. साल 2017 में जब डॉ. रामलाल मारकंडा को यह कमरा मिला था, तब उस समय उन्होंने कहा था कि वह इन अंधविश्वास में नहीं मानते. हालांकि यह बात भी सच है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में हारने वाले डॉ. रामलाल मारकंडा अकेले कैबिनेट मंत्री नहीं हैं. उनके साथ कैबिनेट के अन्य सात मंत्रियों को भी हार का सामना करना पड़ा है.


अफवाह या अंधविश्वास?


कमरा नंबर 202 के इस इतिहास को कोई अंधविश्वास बताता है, कोई भ्रम, तो कोई लोगों की फैलाई बात. अब इसे कोई कुछ भी माने, लेकिन बीते 24 साल का इतिहास यह बताता है कि कमरा नंबर 202 में बैठने वाले कैबिनेट मंत्री जीतकर वापस विधानसभा नहीं आते. सचिवालय का यह कमरा कांग्रेस-बीजेपी के भेद के बिना सभी को हार का ही सामना करवाता है.


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