Himachal Pradesh Crisis: हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट के बीच सियासी पारा और चढ़ गया है. वीरभद्र सिंह के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने इस्तीफा दे दिया है. इस बीच एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विक्रमादित्य सिंह भावुक हो गए. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि पिछले दो तीन दिन से जो घटनाक्रम हुआ है, वह लोकतंत्र के ऊपर हुआ है. ये लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है. मेरे लिए पद महत्वपूर्ण नहीं है. विधायकों की अनदेखी की गई है और आज उसी का परिणाम है. 


विक्रमादित्य सिंह ने ये सुक्खू सरकार पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि राज्य में वित्तीय मिस मैनजमेंट हुआ है. पार्टी हाईकमान के पास हमलोगों ने अपनी बात रखी है. विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में हुआ था. इन विषयों को पार्टी हाईकमान के सामने उठाया गया है. 


विक्रमादित्य सिंह ने क्या लगाए आरोप?


विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उनके पिता के सपनों का सम्मान नहीं किया गया. विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के नाम का इस्तेमाल हुआ था. वीरभद्र के योगदान से सरकार बनी थी. पिछले एक साल में हमने सरकार के बारे में कुछ नहीं बोला लेकिन पिछले दो तीन दिन से जो घटनाक्रम हुआ है वो बहुत ही चिंता की बात है. सरकार को जनता ने चुना है और बहुमत जनता ने कांग्रेस को दिया है. इस घटना के पीछे जाना चाहिये कि ऐसी चीजें क्यों हो रही है. 


हिमाचल सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा


विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में मेरा इस सरकार में बने रहना ठीक नहीं है. इसलिए मैं एक मंत्री के तौर पर इस सरकार से इस्तीफा दे रहू हूं. उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा है और इसी वजह से खुलकर बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो वीरभद्र सिंह के कदमों पर चल रहे हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी को पिछले दो दिन के घटनाक्रम की जानकारी दे दी है और अब हाईकमान को फैसला लेना है.


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