Himachal High Court Suo Motto: देश का फार्मा हब कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में लगातार दवाओं के सैंपल फेल हो रहे हैं. इस बीच हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने दवाओं के सैंपल फेल होने पर कड़ा संज्ञान लिया है. घटिया दवाइयों के उत्पादन पर संज्ञान लेते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव और स्वास्थ्य प्रधान सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके अलावा स्वास्थ्य निदेशक राज्य दवा नियंत्रक और उप दवा नियंत्रक को भी मामले में प्रतिवादी बनाया गया है.


मामले में अगली सुनवाई 23 जून को


हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि आखिर बार-बार दवाओं के सैंपल फेल क्यों हो रहे हैं? साथ ही सरकार से यह भी पूछा गया है कि इसके सुधार के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है? मामले में अगली सुनवाई 23 जून को निर्धारित की गई है. फार्मा हब हिमाचल प्रदेश से बीते कुछ वक्त में लगातार दवा के सैंपल फेल होने की खबरें सामने आ रही है. राष्ट्रीय औषधि नियामक और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल की 12 कंपनियों में निर्मित 11 दवाओं के सैंपल को घटिया घोषित किया है. यही नहीं, इनमें से एक सैंपल तो नकली भी पाया गया. नकली पाई गई दवा पशु चिकित्सा से जुड़ी हुई है.


इन दवाओं के सैंपल हुए फेल


इन दवाओं में एस्ट्राजोल इंजेक्शन, एस्ट्रीज़ो टैबलेट, मिसोप्रोस्टोल टैबलेट, एमोक्सिसिलिन कैप्सूल, रोग पैरासिटामोल ओरल सस्पेंशन, बेचैनी, फिनाविव टैबलेट, पैंटोप्राजोल और झड़ने डोमपेरिडोन कैप्सूल, रैंटिडिनहाइड्रोक्लोराइड टैबलेट और लेवोसेटिरिजिन और इबुप्रोफेन टैबलेट मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं. जानवरों में जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एनरोफ्लॉक्सासिन इंजेक्शन भी दवाओं के इस सूची में शामिल है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के ड्रग अलर्ट में हिमाचल की 11 दवाओं समेत देशभर की 34 दवाओं के सैंपल निर्मित मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं.