हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज चुनाव में देरी को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग से इस मामले में जवाब तलब किया है और 21 दिसंबर तक अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है.

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याचिकाकर्ता का आरोप

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में पंचायती राज चुनावों की समय सीमा को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की मंशा चुनाव समय पर करवाने की नहीं है और इस संबंध में सरकार ने कोई अधिसूचना तक जारी नहीं की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार जानबूझकर चुनाव में देरी कर रही है, जिससे पंचायत प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं. याचिकाकर्ता के वकील मनदीप चंदेल ने बताया कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 21 दिसम्बर तक जवाब मांगा है.

सरकार की तरफ से पक्ष

हालांकि हाई कोर्ट में सरकार की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता ने 21 जनवरी तक चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का कोर्ट में पक्ष रखा है. फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को निर्धारित की गई है. विपक्ष लगातार सरकार पर चुनावों से भागने का आरोप लगा रहा है. 

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पंचायती राज चुनाव स्थगित करने के आदेश

दरअसल, 8 अक्टूबर को राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों को स्थगित करने का आदेश जारी किया था. आदेश में कहा गया कि प्रदेश में कनेक्टिविटी और सड़क संपर्क की स्थिति बेहतर होने के बाद ही चुनाव कराना संभव होगा. आदेश में यह भी उल्लेख था कि हाल ही में आई आपदा के कारण प्रदेश में भारी नुकसान हुआ है और कई जिलों में सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. कई जिलों के डीसी ने भी इस संबंध में पंचायत राज सचिव को पत्र लिखा था.

सरकार ने सुनिश्चित किया कि आम जनता और मतदान कर्मियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो और मतदाता अपने मतदान के अधिकार से वंचित न रहें. हिमाचल प्रदेश सरकार ने मानसून 2025 के कारण हुए नुकसान और खराब सड़क हालात को देखते हुए, दिसंबर में होने वाले पंचायत चुनावों को स्थगित करने का फैसला लिया. यह आदेश मुख्य सचिव और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष संजय गुप्ता द्वारा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 की धारा 24(e) के तहत जारी किया गया.