Himachal News: हिमाचल प्रदेश में बेसहारा पशुओं का दर्द किसी से छिपा नहीं है. सर्द मौसम में बेसहारा पशु दर-बदर की ठोकर खाने को मजबूर रहते हैं. यही नहीं, यह पशु सड़कों पर दुर्घटना का भी कारण बन जाते हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश सरकार को एक सुझाव दिया है. शांता कुमार ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आग्रह किया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार के अधीन आने वाले 35 मंदिरों के लिए एक नियम बनाया जाए. इस नियम के तहत सभी बड़े मंदिरों को एक गौशाला चलाने के लिए दी जाए, ताकि सड़कों पर बेसहारा पशुओं की समस्या को कम किया जा सके.


पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सभी बड़े मंदिर इतने समृद्ध हैं कि वह गौशाला का संचालन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पूरे देश का एक ऐसा राज्य बनकर उभरना चाहिए, जहां सड़कों पर बेसहारा पशु न दिखाई दें. शांता कुमार ने कहा कि राज्य सरकार यह ऐतिहासिक काम उस धन से कर सकती है, जिसका फिलहाल इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा है. पूर्व सीएम ने कहा कि जब से खेतों में जुताई के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल शुरू हुआ है, तब से लोगों ने बैलों को भी रास्ते में ही छोड़ रहे हैं.


'मंदिरों में पड़े धन का हो सही इस्तेमाल'
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि भारत ऐसा धार्मिक देश है, जहां के कई मंदिर देश के बड़े उद्योगपतियों से भी अधिक अमीर हैं. इन मंदिरों के पास भारत सरकार से भी ज्यादा खजाना है. दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों में सोने और चांदी की गिनती भी नहीं की जा सकती. शांता कुमार ने उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में सबसे अमीर तिरुपति मंदिर आने वाले भक्तों के मुंडन के बाल ही 39 करोड़ रुपये में नीलाम हुए. इस मंदिर में 52 टन सोना भी है, जिसकी कीमत 37 हजार करोड़ रुपये है. हिमाचल प्रदेश के बड़े मंदिरों में भी 300 करोड़ रुपये की एफडी और 110 क्विंटल सोना है. यही वजह है कि मंदिरों में पड़े धन का सही इस्तेमाल हो और इनका इस्तेमाल बेसहारा पशुओं के उत्थान के लिए किया जाना चाहिए.


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