हिमाचल प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश की व्यवस्था अब भगवान भरोसे चल रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार स्थायी अधिकारियों की नियुक्ति करने में नाकाम साबित हुई है और कार्यवाहक अधिकारियों के सहारे प्रदेश की पूरी व्यवस्था संभाली जा रही है.

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जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार की नाकामी अब साफ दिखाई दे रही है. प्रदेश में स्थायी डीजीपी तक नहीं है और सरकार कार्यवाहक डीजीपी के भरोसे काम चला रही है. इसी तरह ब्यूरोक्रेसी का मुखिया भी कार्यवाहक है. उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट का हेड, आबकारी और कराधान विभाग का निदेशक और हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन सभी जगह कार्यवाहक अधिकारी बैठे हैं.

उन्होंने कहा कि यहां तक कि कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक का अध्यक्ष भी कार्यवाहक है. यह एक अंतहीन सिलसिला बन गया है. सरकार अपने मनपसंद अधिकारियों को कार्यवाहक बनाकर सत्ता चला रही है, और इसका सीधा नुकसान प्रदेश की जनता को हो रहा है.

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जयराम ठाकुर ने कहा कि मंत्री अधिकारियों के चंगुल में फंस चुके हैं और उनसे अपना पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं. उन्होंने तंज करते हुए कहा कि “व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर यह सरकार ‘व्यवस्था पतन’ की राह पर चल रही है.”

'रिटायर्ड अफसरों को ऊंचे रैंक देकर बोझ बढ़ा रही है सरकार'

नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया कि सरकार जब नए अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करना चाहती, तो फिर सेवानिवृत्त अधिकारियों को ऊंचे पद और रैंक क्यों दे रही है? उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश पर अनावश्यक आर्थिक बोझ बढ़ेगा.

जयराम ठाकुर ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि केंद्र से नए IAS, IPS, और IFS अधिकारी नहीं चाहिए, क्योंकि इससे खर्च बढ़ेगा. लेकिन वही सरकार अपने करीबी रिटायर्ड अधिकारियों को एक्सटेंशन देकर दो-दो साल की नौकरी दे रही है. क्या यह खर्च नहीं बढ़ाता?

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस फैसले को एक आर्थिक सुधार और व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर प्रचारित किया, लेकिन कुछ ही महीनों में यह दिख गया कि यह केवल नौटंकी थी.

जयराम ठाकुर ने दावा किया कि सरकार में संदिग्ध आचरण वाले अधिकारी हावी हैं और उनकी तूती बोल रही है. उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों को तो इतना प्रभावशाली बना दिया गया कि उन्हें माननीय उच्च न्यायालय ने जिम्मेदारी वाले कार्यों से दूर रखने के आदेश दिए.

ठाकुर ने कहा कि कई विधायक और कुछ मंत्री भी इन अधिकारियों से परेशान हैं. लेकिन मुख्यमंत्री उनकी मजबूरी बने बैठे हैं. अगर नए अधिकारी प्रदेश पर बोझ हैं, तो मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि रिटायर्ड अधिकारियों को क्यों ढोया जा रहा है?

63.5 साल तक दिया जा रहा सेवा विस्तार

जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार की दोहरी नीति अब जनता समझ चुकी है. एक तरफ कहा जा रहा है कि नए अधिकारी न लेकर खर्च कम किया जाएगा, दूसरी तरफ 63.5 साल तक सेवा विस्तार देकर पुराने अधिकारियों को रिटायर होने नहीं दिया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी जिन्हें पहले मुख्यमंत्री ‘दागी’ बताते थे, वही अब सरकार के सबसे भरोसेमंद बन गए हैं. आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि मुख्यमंत्री उनसे पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं?”

जयराम ठाकुर कहा, “अब वही हो रहा है. मुख्यमंत्री जिस रास्ते पर चल रहे हैं, वहां से लौटना उनके लिए मुश्किल होगा. अधिकारी उन्हें जिस दिशा में ले जा रहे हैं, उसका खामियाजा पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ रहा है.”

जनता देख रही है सब कुछ

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की जनता सब कुछ देख और समझ रही है. सरकार कितनी पारदर्शी है, यह अब किसी से छिपा नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपा जनता के बीच जाकर इस व्यवस्था पतन की हकीकत रखेगी और सरकार से जवाब मांगेगी.