Education in Himachal: यूं तो देश भर के साक्षर राज्य में हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर आता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के जनजातीय इलाके के बच्चे अपने देश तक का नाम नहीं बता पा रहे हैं. इससे हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा हुआ है. जनजातीय क्षेत्र पांगी की एक प्राथमिक पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चे अपने देश का नाम ही नहीं बता सके. इसका खुलासा तब हुआ, जब भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज स्कूल में औचक निरीक्षण करने के लिए पहुंचे.


देश का नाम नहीं बता पा रहे पांचवीं में पढ़ने वाले बच्चे


विधायक डॉ. जनक राज ने स्कूली बच्चों के साथ संवाद किया. इसी संवाद के दौरान उन्होंने बच्चों से देश का नाम पूछ लिया, तो बच्चे एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे. विधायक ने एक बार फिर सवाल पूछा, तो बच्चे चुप रहे. इस पर विधायक डॉ. जनक राज ने चिंता जाहिर की. उन्होंने अध्यापकों और कार्यकर्ताओं के रवैया पर चिंता जाहिर की है. जनक राज ने कहा कि यह स्कूल के अध्यापकों और स्वयं उनके लिए भी शर्मिंदगी का विषय है. उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंता का विषय है कि पांचवी क्लास में पढ़ने वाले बच्चे अपने देश का नाम नहीं बता पा रहे हैं, जबकि रोजाना सुबह प्रार्थना सभा में प्रतिज्ञा के दौरान बच्चे अपने देश का नाम लेते हैं. इससे पता चलता है कि बच्चों को केवल स्कूल में 'रट्टा मार' पढ़ाई करवाई जा रही है.



मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे विधायक


भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज ने कहा है कि वह मामले की शिकायत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से करेंगे. डॉ. जनक राज ने कहा कि जनजातीय क्षेत्र पांगी जिला चंबा का सबसे दुर्गम इलाका है. ऐसे में प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को इस प्रकार की पढ़ाई करवाई जाएगी, तो आने वाले बच्चों को समय में बच्चों का भविष्य अंधेरे की तरफ चला जाएगा. उन्होंने कहा कि इस तरह की शिक्षा व्यवस्था को स्कूल में बदले जाने की जरूरत है.


प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का नाम भी नहीं बता सके बच्चे


भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज ने बच्चों को समझाया कि सुबह प्रार्थना के वक्त प्रतिज्ञा के दौरान जब भारत हमारा देश है कहा जाता है, तो भारत ही हमारा देश है. डॉ. जनक राज ने बच्चों से देश के प्रधानमंत्री और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का भी जब नाम पूछा, तो बच्चे इसका भी उत्तर नहीं दे सके. डॉ. जनक राज ने स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापकों को अपना रवैया सुधारने और गुणवत्ता को बढ़ाने के सख्त निर्देश दिए हैं.


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