भारत ने पाकिस्तान को एशिया कप 2025 के फाइनल में मात दे दी, जिसके बाद कप्तान सूर्य कुमार यादव ने अपनी मैच फीस भारत की सेना और पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ित परिवारों को देने का फैसला किया है. इसपर पहलगाम आतंकी हमले में मारे विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल की प्रतिक्रिया आई है.
राजेश नरवाल ने कहा, "हमारी टीम ने बहुत अच्छा खेल दिखाया और आखिरी ओवर में भारत की टीम जीत गई. हम उन्हें बधाई देते हैं, वो बधाई के पात्र हैं." वहीं, सूर्य कुमार यादव के फैसले पर विनय नरवाल ने कहा, "मैच फीस देना उनके मन की भावना है, जिसे उन्होंने व्यक्त किया है. जैसे वो श्रद्धांजलि के तौर पर कंट्रीब्यूट कर सकते हैं, वो किया है. ये बहुत सराहनीय बात है."
एशिया कप की ट्रॉफी न लेने पर क्या बोले राजेश नरवाल?
मोहसिन नकवी से भारतीय क्रिकेट टीम ने ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया. इसपर राजेश नरवाल ने कहा कि ये उनकी खेल भावना से बड़ी राष्ट्र भावना है. देश प्रेम, देशवासियों की भावना समझकर और देश के आक्रोश को समझकर उन्होंने इस बात का विरोध किया. सैनिक युद्ध के मैदान में बदला लेते हैं और खिलाड़ियों ने पाकिस्तान से खेल के मैदान में बदला लिया है."
जब उनसे पूछा गया कि पूरे टूर्नामेंट में हमने पाकिस्तान से भी हाथ नहीं मिलाया है. इस पर राजेश नरवाल ने कहा कि ये इसी बात का रूप है. हमने खेल को प्रोटेस्ट ना करके पाकिस्तान के खिलाफ प्रोटेस्ट किया है. खेलना तो सरकार, बोर्ड का फैसला था. उनकी ये पहल थी. हमने हाथ नहीं मिलाया, पाकिस्तान के खिलाड़ियों से कोई विरोध नहीं है लेकिन आतंकवाद से है.
'हमने अपील की थी कि मैच न हो लेकिन हुआ'- राजेश नरवाल
राजेश नरवाल ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ प्रोटेस्ट करना ज़रूरी था, इसलिए हमने अपील की थी कि मैच ना हो, लेकिन खेल हुआ. हम खेले और हमने प्रोटेस्ट किया. पाकिस्तान की जनता सोचेगी हमारे खिलाड़ियों की इतनी बड़ी बेइज्जती हो गई. उन्होंने कहा कि यह खेल, खिलाड़ियों की बेइज्जती नहीं है, बल्कि सैन्य अधिकारियों और वहां की सरकार के मुंह पर तमाचा है, जो आतंकियों को पनाह देते हैं.
'भारत ने पाकिस्तान को मुंह की खिलाई'- राजेश नरवाल
राजेश नरवाल ने आगे कहा, "पाकिस्तान की सरकार आतंकियों को पड़ोसी देश में भेजती है. पहलगाम में जैसे आतंकियों को भेजा गया, मेरा बेटा शहीद हुआ. इससे 26 परिवारों के प्रति एक संवेदना है कि मैदान पर पाकिस्तान खिलाड़ियों का विरोध किया गया."
वहीं, विनय नरवाल ने कहा कि युद्ध के मैदान में 'मुंह की खानी' का शब्द बिल्कुल सटीक होता है, खेल-खेल होता है. कल वो भी जीत सकते थे, लेकिन नहीं जीते. उनके पदाधिकारी जिनसे हमने ट्रॉफी नहीं ली, उन्होंने ये मुंह की खाई है और हमारे खिलाड़ियों ने खिलाई है.