सोनीपत के मुरथल में स्थित पार्क निदान हॉस्पिटल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां अस्पताल प्रशासन ने इलाज के दौरान मरीज की मौत के बाद भी इंसानियत नहीं दिखाई और शव को 9 घंटे तक परिवार के हवाले नहीं किया. इस दौरान अस्पताल प्रशासन ने ना केवल परिवार के सामने दबंगई दिखाई बल्कि पुलिस को भी शव सौंपने से इनकार किया.
परिवार के सदस्यों की मानें तो उन्हें सुबह ही अस्पताल से पता चला कि उनका करीबी सदस्य जय सिंह की मौत हो गई है, लेकिन अस्पताल ने शव नहीं सौंपा और 75 हजार रुपए की मांग करने लगा. परिवार के पास पैसे नहीं थे, तब उन्होंने 12 हजार रुपए इकट्ठा कर दिए. इसके बाद भी अस्पताल ने शव देने से इनकार किया और यह खेल लगभग 9 घंटे तक चलता रहा.
सड़क हादसे के बाद कराया गया था भर्ती
बिहार के दरभंगा का रहने वाला जय सिंह रोजी-रोटी कमाने के लिए सोनीपत के बहालगढ़ आया था. वहां एक निजी ढाबे के पास खड़े होने के दौरान हरियाणा रोडवेज की बस ने उन्हें टक्कर मार दी. आसपास के लोगों ने बस चालक और परिचालक को पकड़ लिया और उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवा दिया.
लेकिन इलाज के दौरान जय सिंह की मौत हो गई. परिजन बताते हैं कि अस्पताल प्रशासन ने न केवल मरीज से मिलने की अनुमति नहीं दी, बल्कि मौत की जानकारी देने में भी देरी की. इसके बाद अस्पताल ने पैसा मांगना शुरू कर दिया. परिवार ने पैसे जुटाकर भी दे दिए, लेकिन अस्पताल ने शव सौंपने से इंकार कर दिया.
पुलिस की बेबसी और अस्पताल की मनमानी
बालागढ़ और मुरथल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और अस्पताल प्रशासन से शव मिलने की बात करने लगी, लेकिन अस्पताल के लोग लगातार बहस करते रहे और पुलिस को बाहर इंतजार कराने पर मजबूर किया. अस्पताल प्रशासन ने कह दिया कि “हम 2 बजे मीटिंग में गए हैं,” जबकि मरीज की मौत सुबह ही हो चुकी थी.
इस पूरी घटना के दौरान पुलिस ने अस्पताल प्रशासन को कई बार नोटिस दिए और लिखित में भी शव देने की बात कही. मीडिया के दबाव और पुलिस नोटिस के बाद अस्पताल ने शव परिवार को सौंपा.
पुलिस प्रवक्ता रविंद्र कुमार ने बताया कि “हमने अस्पताल प्रशासन से शव मिलने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वे लगातार बहाने बनाते रहे. नोटिस और मीडिया के दबाव के बाद ही शव परिवार को मिला.”
परिवार ने अस्पताल की इस हरकत पर गहरी नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि “हम अपने अपने बेटे की लाश के लिए 9 घंटे तक भटकते रहे. अस्पताल ने इंसानियत दिखाने की बजाय दबंगई दिखाई. पुलिस और प्रशासन को भी हमें मुआवजा या न्याय दिलाने में देरी हुई.”