हरियाणा सरकार ने भूमि एवं राजस्व प्रशासन में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पारदर्शिता, दक्षता और नागरिक सुविधा को केंद्र में रखकर पूर्ण डिजिटल भूमि शासन प्रणाली की आज 1 नवंबर से शुरुआत हो गई है. अब प्रदेश में भूमि रजिस्ट्री पूरी तरह से ऑनलाइन होगी, जिससे न केवल कार्यप्रणाली में तेजी आएगी, बल्कि भ्रष्टाचार और जालसाजी पर भी रोक लगेगी.

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राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वित्त आयुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा ने शुक्रवार (30 अक्टूबर) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ डिजिटल सुधारों की प्रगति की समीक्षा की और बताया कि हरियाणा अब पेपरलेस भूमि पंजीकरण प्रणाली की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा चुका है.

हरियाणा में आज से पूरी तरह पेपरलेस होगी भूमि रजिस्ट्री प्रणाली

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वित्त आयुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि 1 नवंबर 2025 से हरियाणा पूरी तरह पेपरलेस भूमि रजिस्ट्री प्रणाली में प्रवेश करेगा, जिसके बाद किसी भी तहसील में भौतिक दस्तावेज की आवश्यकता नहीं रहेगी. सभी रजिस्ट्री केवल डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से मान्य होंगी. इस कदम से दस्तावेजों के खोने या जालसाजी के खतरे समाप्त हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, 3 नवंबर से पहले खरीदे गए स्टाम्प 15 नवंबर 2025 तक मान्य रहेंगे.

बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही सभी तहसील कार्यालयों में क्यूआर कोड आधारित फीडबैक सिस्टम शुरू किया जाएगा. इसके तहत नागरिक अपने सेवा अनुभव को रियल-टाइम में रेट कर सकेंगे और किसी भी समस्या की तुरंत रिपोर्टिंग कर पाएंगे. यह पहल शासन की पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ अधिकारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित करेगी.

इस सप्ताह के अंत तक हो जाएगा नामांतरण

डॉ. मिश्रा ने सभी तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और पंजीयन कर्मियों को निर्देश दिए कि वे अपने राजस्व विभाग पोर्टल अकाउंट्स को शीघ्र अपडेट करें ताकि डिजिटल ट्रांजिशन बिना किसी बाधा के पूरा हो सके. उन्होंने कहा कि सभी लंबित म्यूटेशन (नामांतरण) मामलों का निपटान इस सप्ताह के अंत तक किया जाए, जिससे नागरिकों को समय पर सेवाएं मिलें.

ई-गवर्नेंस पेमेंट गेटवे के माध्यम से होंगे सरकारी भुगतान

राज्य सरकार 25 नवंबर से ऑटो-म्यूटेशन सिस्टम लागू करने जा रही है. इस प्रणाली के लागू होने के बाद स्वामित्व हस्तांतरण स्वतः रिकॉर्ड हो जाएगा, जिससे देरी और विवाद दोनों समाप्त होंगे. साथ ही मैनुअल फीस कलेक्शन को समाप्त कर अब सभी भुगतान सरकारी ई-गवर्नेंस पेमेंट गेटवे के माध्यम से ही किए जाएंगे. इससे वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी.

डीड राइटर्स को भी अब मैनुअल ड्राफ्टिंग बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. केवल पोर्टल से तैयार की गई ऑनलाइन डीड ही अब कानूनी रूप से मान्य होगी. इन डीड्स को भूमि अभिलेखों से स्वतः सत्यापित किया जाएगा और संबंधित अधिकारियों द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर किए जाएंगे.

हर प्लॉट के लिए तैयार होगा जीपीएस डिजिटल मानचित्र

वित्त आयुक्त ने यह भी निर्देश दिए कि सभी 7ए भूमि रिकॉर्ड नंबर और कोर्ट स्टे ऑर्डर को इस शुक्रवार तक केंद्रीय प्रणाली में अपडेट किया जाए ताकि डेटा की सटीकता बनी रहे. इसके साथ ही उन्होंने हरियाणा लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट (HaLMSP) की समीक्षा की और उपायुक्तों से कहा कि तितामा अपडेट कार्य को प्राथमिकता से पूरा करें. यह प्रोजेक्ट हर प्लॉट के लिए जीपीएस आधारित डिजिटल मानचित्र तैयार करेगा, जिससे सीमा विवादों का स्थायी समाधान हो सकेगा.

पूरे तरीके से बंद हुए ऑफलाइन आवेदन

अब हरियाणा में सभी निशानदेही आवेदन केवल ऑनलाइन पोर्टल से ही स्वीकार किए जाएंगे. ऑफलाइन आवेदन पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए फीस 1000 रुपये प्रति एकड़ और अतिरिक्त एकड़ पर 500 रुपये तय की गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए 2000 रुपये है. यह प्रक्रिया जीपीएस-इनेबल्ड रोवर तकनीक से की जाएगी, जिससे रिकॉर्ड की सटीकता सुनिश्चित हो सकेगी.

बैठक के अंत में डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि हम ऐसा शासन तंत्र बना रहे हैं जहां हर भूमि रिकॉर्ड सटीक हो, हर नागरिक की आवाज सुनी जाए और हर अधिकारी जवाबदेह हो. उन्होंने जोड़ा कि पेपरलेस रजिस्ट्री, ई-पेमेंट, ऑटो-म्यूटेशन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग जैसी पहलों से हरियाणा डिजिटल भूमि शासन में राष्ट्रीय बेंचमार्क स्थापित कर रहा है जो आने वाले समय में पूरे देश के लिए एक मॉडल साबित होगा.