हरियाणवी गायक और कलाकार मासूम शर्मा ने हाल ही में अपने बयानों के जरिए राजनीति, कला, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आलोचना जैसे मुद्दों पर खुलकर राय रखी. उन्होंने कहा कि डीजीपी साहब अपना काम कर रहे हैं और हम कलाकार अपना काम कर रहे हैं, क्योंकि हर व्यक्ति को अपनी ड्यूटी और कर्तव्य निभाना चाहिए. उन्होंने साफ किया कि टकराव की बजाय हर किसी को अपने दायरे में ईमानदारी से काम करना चाहिए और यही लोकतांत्रिक व्यवस्था की असली ताकत है.

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राजनीति जॉइन करने पर रुख और वैचारिक सोच

राजनीतिक दल जॉइन करने के सवाल पर मासूम शर्मा ने कहा कि उनका किसी भी पार्टी से न तो विरोध है और न ही किसी पार्टी से परहेज. उन्होंने कहा कि आगे क्या होगा, कौन सी राह बनेगी, यह परमात्मा पर निर्भर है. मासूम शर्मा ने स्पष्ट किया कि उनकी अपनी कोई पार्टी नहीं है, बल्कि उनकी सोच राष्ट्रवाद की विचारधारा से जुड़ी है. 

उन्होंने कहा कि किसी पार्टी से न उन्हें विशेष प्रेम है और न ही कोई व्यक्तिगत समस्या. उनका मानना है कि कलाकार का काम समाज से जुड़ा रहना है, न कि किसी राजनीतिक खांचे में खुद को सीमित करना. इसी क्रम में उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में उनके आइडल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जिनकी कार्यशैली और निर्णय क्षमता से वे प्रभावित हैं.

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विवादित टिप्पणी और गायकी पर विचार

सफीदों से विधायक राम कुमार गौतम की विवादित टिप्पणी पर माशूम शर्मा ने बेहद सहज प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि वे बुजुर्ग हैं और उम्र के इस पड़ाव में कभी-कभी उल्टा सीधा बोल जाना स्वाभाविक है. मासूम शर्मा के अनुसार लोग इसे बुरा नहीं मानते, बल्कि कई बार कॉमिक दृष्टि से लेते हैं और उनके प्रति सम्मान और प्यार बना रहता है. 

अपनी गायकी को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक लंबा अध्याय है, जिस पर विस्तार से बात की जा सकती है. उनका मानना है कि समय के हिसाब से जो होता है, वही सही होता है और कलाकार को बदलते वक्त के साथ खुद को ढालना चाहिए. यह सोच उनकी परिपक्वता और अनुभव को दर्शाती है.

विरोध, प्यार और सरकार से अपेक्षाएं

मासूम शर्मा ने कहा कि कार्यक्रम चलते रहने चाहिए और कलाकारों पर रोक-टोक नहीं होनी चाहिए, लेकिन असली बंदिशें उन गंभीर मुद्दों पर लगनी चाहिए जिन पर सरकार को ज्यादा काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उन्हें विरोध महसूस नहीं होता, हालांकि कुछ लोग आलोचना जरूर करते होंगे. 

मासूम शर्मा के मुताबिक प्यार करने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है और आलोचक भी जरूरी हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि जिस दिन आलोचक खत्म हो जाएंगे, उस दिन माशूम शर्मा भी खत्म हो जाएगा. यह बयान दिखाता है कि वे आलोचना को विकास का हिस्सा मानते हैं और जनता के प्यार को अपनी सबसे बड़ी ताकत समझते हैं.