पिछले दिनों साइबर सिटी गुरुग्राम में हुए जलभराव को लेकर जिला अदालत ने गुरुग्राम के जिला उपायुक्त, नगर निगम कमिश्नर और डीसीपी ट्रैफिक को तलब किया है. अदालत में दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने नोटिस जारी कर 12 सितंबर तक जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने यह आदेश एक व्यक्ति की दायर याचिका पर दिए हैं.

याचिकाकर्ता महेंद्र ने अपने अधिवक्ता मनीष शांडिल्य के माध्यम से अदालत में याचिका दायर कर अदालत से गुहार लगाई थी कि जिन अधिकारियों और विभागों ने गुरुग्राम की दुर्दशा की है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. साल 2016 में हीरो होंडा चौक पर हुए जलभराव के बाद महाजाम लगा था. इसके बाद से लगातार अधिकारी शहर में जलभराव रोकने के तो दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है.

हर साल एक बारिश में ही सामने आ जाती है हकीकत

अधिकारियों और प्रशासन की लापरवाही के कारण गुरुग्राम के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. अधिकारियों द्वारा फाइलों में तो बड़े-बड़े कार्य कर गुरुग्राम को जलभराव से मुक्त कर दिया है, लेकिन हकीकत हर साल एक बारिश में ही सामने आ जाती है. इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने डीसी गुरुग्राम, डीसीपी ट्रैफिक और नगर निगम कमिश्नर को तलब किया है.

कुछ नहीं होता कार्रवाई के नाम पर

आपको बता दें कि हाल ही में हुई बारिश के बाद गुरुग्राम एक बार फिर पूरी तरह से जलमग्न हो गया. लोगों को घंटों जाम में फंसे रहने को विवश होना पड़ा. हर साल अधिकारी बारिश के दौरान जलभराव न होने के दावे तो करते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता. करोड़ों रुपए ड्रेन की सफाई, जल निकासी के प्रबंधन करने के नाम पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन कार्य कुछ नहीं होता.

लोगों ने लिया है कोर्ट का सहारा

अधिकारियों को शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती. ऐसे में अब अधिकारियों पर लगाम कसने के लिए लोगों ने कोर्ट का सहारा लिया है और अदालत में याचिका दायर कर लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई है ताकि गुरुग्राम की दशा को सुधारा जा सके.

तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर ने गुड़गांव का नाम बदलकर बेशक गुरुग्राम रख दिया हो लेकिन काम आपके सामने ही है . गुरुग्राम शहर के वासियों ने सोचा था कि नाम बदल जाने के बाद हो सकता है शहर के हालात ठीक हो जाए.