देश की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में शामिल अरावली की पहाड़ियों की ऊंचाई-आधारित नयी परिभाषा को लेकर सियासी और सामाजिक विवाद शुरू हो गया है. अरावली के अस्तित्व को लेकर हरियाणा के गुरुग्राम में जोरदार विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है.  यह प्रदर्शन हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के निवास के बाहर किया गया, जहां बड़ी संख्या में लोग हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर पहुंचे. 

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अरावली की नई परिभाषा के खिलाफ जमीनी स्तर पर भी विरोध तेज हो गया है. प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 100 मीटर से नीचे ऊंचाई वाली अरावली को लेकर दिए गए आदेश से अरावली पर्वत श्रृंखला को खतरा पैदा हो गया है. इसी आदेश के विरोध में लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है.

अरावली को पूरी तरह सुरक्षित घोषित करने की मांग

दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग इलाकों से आए पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने सरकार से अरावली को पूरी तरह सुरक्षित घोषित करने की मांग की. प्रदर्शन के दौरान “अरावली बचाओ, देश बचाओ”, “प्रकृति से खिलवाड़ बंद करो” जैसे नारे लगाए गए.

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अरावली बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि अरावली क्षेत्र में लगातार निर्माण और खनन से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है, जिससे जलस्तर गिर रहा है और प्रदूषण बढ़ रहा है. लोगों ने सरकार से मांग की है कि अरावली को बचाने के लिए ठोस और सख्त कदम उठाए जाएं. वही मौके पर पुलिस बल तैनात रहा और स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण बनी रही. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर अरावली को बचाने के लिए जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 20 नवंबर 2025 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत गठित समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी. न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस कथित नयी परिभाषा के अंतर्गत केवल वही भू-आकृति अरावली पहाड़ियों में शामिल होगी, जिसकी ऊंचाई कम से कम 100 मीटर होगी. अब इसका विरोध तेज हो गया, राजनीतिक व समाजिक विवाद तेज हो गया है.