Deported From America To Haryana: अमेरिका से डिपोर्ट होकर आए हरियाणा के कैथल पहुंचे अमन ने अपनी पीड़ा बताई है. उन्होंने भारत लौटने के बाद बताया कि किस तरह जंगल के रास्ते अमेरिका पहुंचे और इस दौरान उन्हें किन-किन यातनाओं का सामना करना पड़ा.

उन्होंने बताया कि पनामा के जंगलों में तीन दिनों तक 90 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. पांच महीने बाद अमेरिका पहुंचा. उन्होंने बताया कि दिन में चार बार नहाना पड़ता था जिसमें गर्म पानी तो कभी ठंडे पानी में नहाने को मजबूर करते थे. कैंप में सोने ही नहीं देते थे. जहाज में अमेरिकी सेना के जवान हथियार लेकर खड़े रहते थे और अंग्रेजी में गालियां दे रहे थे. हथियारों को देखकर बच्चे डरे सहमे हुए थे.

पनामा के जंगलों में तीन दिन तक 90 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा

अमन ने बताया कि मैं 8वीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद दुकान पर मिस्त्री का काम करता था. 7 अगस्त 2023 को रोजगार की तलाश में दिल्ली एयरपोर्ट से अमेरिका के लिए रवाना हुआ था. ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, कपूर गाना, पनामा से होते हुए पांच महीने में अमेरिका पहुंचा था. इन देशों को जहाज, बस, किश्ती, पैदल और घोड़ों पर सवार होकर पार किया.

पनामा के जंगलों में तीन दिन तक 90 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. हर दिन 30 किलोमीटर पैदल सफर करते थे. घर से कपड़े, जूते आदि जो सामान लेकर गए थे, वजन के कारण वह पनामा के जंगलों में फेंकना पड़ा. अमन ने बताया कि 24 जनवरी की रात दो बजे मैक्सिको बॉर्डर की दीवार पार की. बॉर्डर पार करते ही मुझे अमेरिकी सेना ने हमें पकड़ लिया. हमारे सभी कपड़ों की तलाशी ली गई, इसके बाद कैंप में डाल दिया. कैंप में भारतीय सहित हजारों युवा थे. 11 दिन मैं कैंप में रहा. 

'खाने को चिप्स और एक सेब ही दिया जाता था'

उन्होंने बताया कि वहां पांच टाइम खाने को चिप्स और एक सेब ही दिया जाता था. खाना इतना ही मिलता था कि न पेट भरे और न ही भूखा रहे. सोने के लिए चादर की जगह प्लास्टिक का पॉलिथीन दी गई थी. जब भी नींद आने लगती अमेरिकी सेना के जवान कैंप में इतना शोर कर देते कि तुरंत ही नींद खुल जाती थी. हर दो घंटे बाद ये शोर किया जाता था. जिससे 11 दिन तक सो भी नहीं पाए. चार टाइम नहाने को बोला जाता था. कभी गर्म पानी तो कभी ठंडे पानी में नहाने को मजबूर करते थे. कैंप में हमारे कोई बयान दर्ज नहीं हुए. 11 दिन बाद अमेरिकी सेना के जवान हमें कैंप से हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर गाड़ियों में बैठाकर एयरबेस पर ले गए. जहां पहले से ही अमेरिकी सेना का जहाज तैयार खड़ा था.

'जहाज में खाने को गौवंश का मांस दिया गया'

जहाज में बैठाने से पहले हमें खाने को गौवंश का मांस दिया गया. अमन ने बताया कि सभी 104 लोगों ने गौवंश का मांस खाने से मना कर दिया और भूख हड़ताल शुरू कर दी. जिसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने हमें शाकाहारी खाना खिलाया और जहाज में बैठा दिया. जहाज में महिलाओं को भी हथकड़ी व बेड़ियां लगी थी. 

'खाने के लिए हाथ नहीं खोले हथकड़ी'

अमेरिकी सेना के जवान हथियार लेकर खड़े थे और अंग्रेजी में गालियां दे रहे थे. हथियारों को देखकर बच्चे डरे सहमे हुए थे. टॉयलेट जाने के लिए भी हथकड़ी नहीं खोली गई. 15 घंटे बाद जहाज जापान में उतरा, वहां चिप्स व सेब खाने को दिए. खाने के लिए हाथ नहीं खोले हथकड़ी के साथ गर्दन झुकाकर खाना पड़ा. कुछ घंटे रुकने के बाद जापान से जहाज ने दोबारा उड़ान भरी और 51 घंटे बाद अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा. एयरपोर्ट पर जहाज से उतरने से पहली ही हमारी हथकड़ी व बेड़ियां खोली दी थी. 

(रिपोर्ट- सुनील रवीश)

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