सूरत पुलिस ने 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा के साइबर फ्रॉड के में 1.5 लाख पन्नों की चार्जशीट फाइल की है. सूरत के डीसीपी भागीरथ गढ़वी ने बताया कि करीब तीन महीने पहले की बात है. उधना पुलिस को चेकिंग के दौरान एक संदिग्ध गाड़ी दिखी थी. उस गाड़ी में से कुछ डॉक्यूमेंट बरामद किए गए थे. जब गाड़ी के चालक से बात की गई तो उसने संतोषजनक जवाब नहीं दिया. जब उससे आगे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि इस डॉक्यूमेंट का मालिक कोई और है.
पुलिस को म्यूल अकाउंट का पता चला
डीसीपी ने कहा कि इसके बाद उसके ऑफिस की हमने जांच पड़ताल की. वहां डॉक्यूमेंट को नष्ट करने वाली मशीन, नोट गिनने वाली मशीन, लैपटॉप, कंप्यूटर और चेकबूक्स मिलीं. शुरू में पुलिस को ये फाइनेंशियल फ्रॉड जैसा लग रहा था. पुलिस वहां के मुख्य मालिक को पुलिस स्टेशन लेकर आई. पूछताछ में पता चला कि म्यूल अकाउंट खोले जा रहे थे.
क्या होता है म्यूल अकाउंट?
साइबर ठग म्यूल अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं. ठग अपने अकाउंट में ठगी के पैसे नहीं लेते बल्कि दूसरों के अकाउंट की मदद लेते हैं. जब कोई दूसरा व्यक्ति अकाउंट में पैसे लेने के लिए राजी हो जाता है तो उसे अकाउंट के बदले पैसे दिए जाते हैं. ऐसे ही अकाउंट को म्यूल अकाउंट कहा जाता है.
1550 करोड़ से ऊपर की अमाउंट की लेनदेन- पुलिस
पुलिस को जांच में सिंडिकेट का पता चला जिसके तार भारत से बाहर मलेशिया, क्यूबा, इंडोनेशिया, दुंबई और सिंगापुर जैसे देश में थे. दो व्यक्ति का पता चला तो वहां पर गैंग या ग्रुप चला रहे थे. ये फाइनेंशियल फ्रॉड और साइबर फ्रॉड का काम करते थे. जांच में पुलिस 164 अकाउंट मिले जो करेंट अकाउंट हैं. इसमें करोड़ों रुपये के लेनदेन का पता चला. एक स्पेशल टीम बनाई गई जिसने हमें रिपोर्ट दिया जिसके मुताबिक, इसमें करीब 1550 करोड़ से ऊपर की अमाउंट की लेनदेन हुई है.