गुजरात में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अभियान के दौरान एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. राज्यभर की मतदाता सूची में 17 लाख से भी अधिक मृत व्यक्ति अब भी वोटर के तौर पर दर्ज पाए गए हैं. यह जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) कार्यालय की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में दी गई है.

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SIR का मकसद मतदाता सूची को पूरी तरह साफ-सुथरा और अपडेट करना है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मृत मतदाताओं का मिलना चुनावी सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.

कैसे सामने आई इतनी बड़ी संख्या?

SIR अभियान 4 नवंबर से शुरू हुआ था. इस दौरान बूथ-स्तरीय अधिकारियों यानी BLOs को घर-घर जाकर एन्यूमरेशन फॉर्म वितरित करने, परिवारों से जानकारी जुटाने और मतदाता सूची की वास्तविक स्थिति का आकलन करने का काम सौंपा गया.

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जैसे-जैसे BLOs ने फील्ड में सर्वे शुरू किया, मृत मतदाताओं की संख्या लगातार बढ़ती चली गई. आखिरकार रिपोर्ट में यह आंकड़ा 17 लाख से भी ज्यादा पहुंच गया, जो किसी भी राज्य के लिए बेहद गंभीर और चिंताजनक स्थिति मानी जाती है.

अभियान 11 दिसंबर तक जारी

CEO कार्यालय के मुताबिक, SIR अभियान 11 दिसंबर तक चलेगा. इस अवधि में न सिर्फ मृत मतदाताओं की पहचान और नाम हटाने का काम होगा, बल्कि ऐसे मतदाताओं को भी चिन्हित किया जाएगा जो लंबे समय से दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं या जिनकी जानकारी बदल चुकी है.

मतदाता सूची को सटीक बनाने के लिए BLOs लगातार घर-घर जाकर जानकारी अपडेट कर रहे हैं. इसके साथ ही स्थानीय निवासियों से भी यह अपील की जा रही है कि वे सही जानकारी उपलब्ध कराएं ताकि आगामी चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी रह सकें.

मतदाता सूची की सफाई क्यों जरूरी?

मृत मतदाताओं का नाम सूची में बने रहने से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं. फर्जी मतदान की संभावना बढ़ती है. चुनावी आंकड़ों की विश्वसनीयता प्रभावित होती है.

चुनाव आयोग का कहना है कि SIR जैसे अभियान का उद्देश्य ही यह सुनिश्चित करना है कि एक भी गलत नाम सूची में शामिल न रहे और हर पात्र नागरिक को मतदान का अधिकार मिल सके.

17 लाख मृत मतदाताओं की पहचान होना एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन यह भी दिखाता है कि सूची को समय-समय पर अपडेट करना कितना जरूरी है. चुनाव आयोग को उम्मीद है कि SIR अभियान पूरा होने के बाद मतदाता सूची पहले से कहीं अधिक साफ और सटीक होगी.