Gujarat News: अहमदाबाद जिले के ढोलका के पास चालौदा की रहने वाली 18 वर्षीय ध्रुवी पटेल को 2021 में 11वीं कक्षा से बाहर कर दिया, क्योंकि उसकी मां का कोविड से निधन हो गया था जिसके बाद उसने अपने भाई तुषार को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी ली. लेकिन अब इस साल अपनी कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकती हैं. कोरोना ने केवल इस परिवार को ही नहीं प्रभावित किया है बल्कि ऐसे कई परिवार हैं.


मां की कोविड से मौत के बाद कोई मुआवज़ा नहीं मिला


धुर्वी पटेल के मुताबिक उसने भाई तुषार की मदद करना चुना है जो इस साल 10वीं की परीक्षा दे रहे हैं और डॉक्टर बनकर जरूरतमंदों का इलाज करें, ध्रुवी ने कहा कि उन्होंने तीन साल पहले कार्डियक अरेस्ट के कारण अपने पिता बिपिन पटेल को खो दिया था. वह एक ड्राइवर के रूप में शहर की एक फार्मा कंपनी के साथ काम कर रहे थे. इसके बाद  माँ ने हमें बचाए रखने की कोशिश की.


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लेकिन महामारी में उसकी असामयिक मृत्यु के साथ, हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, मैंने अपने भाई के रहते परिवार की मदद करना चुना. उसने आगे कहा कि वर्तमान में अपने चाचा जयेश पटेल के साथ रह रहे हैं. स्कूल ने फीस माफ कर दी है, जो अच्छा है. लेकिन मां की मौत के लिए 50,000 रुपये नहीं मिल सके और  दस्तावेजों की कमी के कारण कोविड अनाथों के लिए छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी.


एक परिवार ऐसा भी


यह सिर्फ एक परिवार की दुर्दशा नहीं है-कक्षा 10 और 12 की परीक्षा में बैठने वाले लगभग 200 छात्रों ने कोविड के कारण एक कमाने वाले माता-पिता या माता-पिता दोनों को खो दिया है. कई लोग वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं, और अच्छा अकादमिक प्रदर्शन ही इस स्थिति से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका है.


मॉडर्न हाई स्कूल के कक्षा 10 के छात्र शाहीन बानो सुमरा ने कोविड की दूसरी लहर के दौरान 49 वर्षीय पिता मुस्तफा मियां सुमरा को खो दिया, अपनी मां, बड़ी बहन मुस्कान और छोटे भाई रेहान सहित चार लोगों के परिवार में शाहीन ने कहा कि वह अपनी बहन की तरह दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ सकती है, जो कुछ साल पहले आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी थी क्योंकि उसकी मां को मदद की जरूरत थी.


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