Gujarat News: सूरत से एक संवेदनशील और चर्चित मामला सामने आया है, जिसने जैन समाज में बड़ी चर्चा छेड़ दी है. फैमिली कोर्ट ने सात साल की बच्ची की दीक्षा पर रोक लगा दी है. यह फैसला उस विवाद के बाद आया, जिसमें मां बच्ची को दीक्षा दिलाना चाहती थी, जबकि पिता इतनी कम उम्र में इस फैसले के खिलाफ थे.

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माता-पिता के बीच मतभेद, मामला पहुंचा कोर्ट

बताया जा रहा है कि बच्ची की दीक्षा को लेकर पति-पत्नी के बीच लंबे समय से मतभेद चल रहे थे. इसी कारण दोनों पिछले छह महीनों से अलग रह रहे हैं. पिता को जब जानकारी मिली कि मां ने बच्ची की दीक्षा के लिए मुहूर्त भी निकलवा लिया है और कार्यक्रम की तैयारी चल रही है तो उन्होंने तुरंत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

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पिता ने कोर्ट में दलील दी कि उनकी बेटी अभी सिर्फ सात साल की है और इतनी छोटी उम्र में वह अपने जीवन से जुड़ा इतना बड़ा फैसला लेने में सक्षम नहीं है. उन्होंने कहा कि बिना उनकी सहमति के बच्ची की दीक्षा का निर्णय लिया गया, जो उचित नहीं है. पिता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि बच्ची की उम्र और भविष्य को ध्यान में रखते हुए दीक्षा पर रोक लगाई जाए.

कोर्ट का फैसला: दीक्षा पर रोक

फैमिली कोर्ट ने पिता की दलीलों को स्वीकार करते हुए बच्ची की दीक्षा पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि दीक्षा से जुड़े सभी कार्यक्रम रद्द किए जाएं. कोर्ट ने बच्ची की कम उम्र और कानूनी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया. सुनवाई के दौरान मां की ओर से भी कई सबूत पेश किए गए. मां ने दावा किया कि 4 अक्टूबर को जब बच्ची को आचार्य भगवान के पास दीक्षा की अनुमति लेने ले जाया गया था, तब पिता और उनके परिवार के सदस्य भी वहां मौजूद थे.

मां ने कोर्ट में ऐसे फोटो भी पेश किए, जिनमें पिता दीक्षा प्रक्रिया में शामिल नजर आ रहे हैं. हालांकि इन दलीलों के बावजूद कोर्ट ने मौजूदा हालात में बच्ची की दीक्षा को फिलहाल टालने का फैसला लिया है. इस फैसले के बाद सूरत समेत पूरे जैन समाज में इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है.