Sabarmati Ashram Redevelopment Scheme: गुजरात हाई कोर्ट ने साबरमती आश्रम पुनर्विकास योजना के खिलाफ दाखिल महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की याचिका सरकार के यह कहने के बाद खारिज कर दी कि इससे आश्रम का मुख्य हिस्सा प्रभावित नहीं होगा. गुजरात सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए. जे. शास्त्री की खंडपीठ को बताया कि पुनर्विकास के दौरान, पांच एकड़ में फैले मुख्य आश्रम परिसर को छुआ तक नहीं जाएगा.


तुषार गांधी ने कही ये बात
तुषार गांधी ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल कर यह निर्देश देने की अपील की थी कि पुनर्विकास 'राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि' (एनजीएसएन) के तत्वावधान में किया जाए. साबरमती आश्रम को गांधी आश्रम के नाम से भी जाना जाता है. महात्मा गांधी ने 1917 में इसकी स्थापना की थी. याचिकाकर्ता, तुषार गांधी ने यह कहते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि यह योजना "महात्मा गांधी की व्यक्तिगत इच्छाओं और वसीयत के विपरीत है और हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के मंदिर और स्मारक को कम कर देगी जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों को आकर्षित करता है. 


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कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील पर किया भरोसा
कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील पर भरोसा करते हुए कहा कि "प्रस्तावित परियोजना न केवल महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन को बढ़ावा देगी जो कि समाज और मानव जाति के लाभ के लिए होगा. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए जे शास्त्री की खंडपीठ ने राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी पुनर्विकास योजना को बरकरार रखते हुए ये आदेश सुनाया. याचिका महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने दायर की थी. कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में यह सुनिश्चित करते हुए कहा कि आश्रम और संबंधित संपत्तियों का प्रबंधन करने वाले सभी मौजूदा ट्रस्टों के परामर्श से योजना पर अमल किया जा रहा है.


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