गुजरात हाई कोर्ट ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़े एक मामले में तीन दोषियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनकी दोषसिद्धि विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित नहीं थी. हाई कोर्ट का यह फैसला मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट के सचिन पटेल, अशोक पटेल और अशोक गुप्ता को दोषी ठहराए जाने और उन्हें पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाए जाने के लगभग 19 साल बाद आया.

जस्टिस गीता गोपी की बेंच ने सचिन पटेल, अशोक पटेल और अशोक गुप्ता की ओर से दायर उन याचिकाओं को स्वीकार कर लिया, जिनमें तीनों ने आणंद की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा उन्हें दोषी ठहराए जाने और 29 मई 2006 को सजा सुनाए जाने के फैसले को चुनौती दी थी.

गुजरात हाई कोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट की बेंच ने सोमवार को पारित आदेश में कहा, ‘‘अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश से साक्ष्यों के मूल्यांकन में चूक हुई है. दोषसिद्धि विश्वसनीय और पुष्टिकारक साक्ष्यों पर आधारित नहीं है. मुकदमे के दौरान आरोपियों की पहचान भी साबित नहीं की जा सकी.’’

4 आरोपियों को पांच-पांच साल की सुनाई गई थी सजा 

मुकदमे का सामना करने वाले 9 लोगों में से चार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दंगा, आगजनी, गैरकानूनी सभा आदि के आरोपों में दोषी ठहराकर पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. इन चार दोषियों में से एक की 2009 में मौत हो गई थी.

भीड़ ने दुकानों को पहुंचाया था नुकसान 

अभियोजन पक्ष ने कहा था कि तीनों दोषी 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के दो डिब्बों में आग लगाए जाने के एक दिन बाद आणंद के एक इलाके में इकट्ठा हुई भीड़ का हिस्सा थे. आरोप था कि भीड़ ने जिला मजिस्ट्रेट की ओर से बॉम्बे पुलिस अधिनियम की धारा-135 के तहत जारी आदेश का उल्लंघन करते हुए दुकानों को नुकसान पहुंचाया और उनमें से कुछ में आग लगा दी.

साबित नहीं हो पाया कि वो गैरकानूनी सभा का हिस्सा थे- HC

हाई कोर्ट ने कहा, ''यह साबित नहीं हो पाया है कि याचिकाकर्ता गैरकानूनी सभा का हिस्सा थे या नहीं और आगजनी में शामिल थे या नहीं. सामूहिक उद्देश्य के तहत उनके आगजनी और निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के किसी भी कृत्य में शामिल होने की बात को मुकदमे के दौरान साबित नहीं किया जा सका.

गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में की गई आगजनी में 59 लोगों की मौत हो गई थी. घटना के बाद राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे.