सोचिए सिर्फ एक डिफ़ॉल्ट पासवर्ड 'admin123' और उससे खुल गया देशभर की महिलाओं की निजता का सबसे बड़ा साइबर घोटाला. राजकोट के पायल मैटरनिटी हॉस्पिटल से शुरू हुआ ये मामला अब भारत के सबसे खौफनाक डिजिटल अपराधों में गिना जा रहा है.

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दरअसल, हैकर्स ने अस्पताल के CCTV सिस्टम में सेंध लगाकर महिलाओं के गायनेकोलॉजी वार्ड में हो रही जांच के घंटों लंबे वीडियो चोरी कर लिए. ये वीडियो बाद में अंतरराष्ट्रीय पोर्न नेटवर्क्स पर बेचे गए. शुरू में इसे एक मामूली सिक्योरिटी गलती समझा गया, लेकिन जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, खुलासा हुआ कि यह एक संगठित साइबर रैकेट था जो पूरे देश में सक्रिय था.

कैसे हुआ खुलासा

द टाइम ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राजकोट अस्पताल के कुछ वीडियो जब YouTube चैनलों Megha Mbbs और cp monda पर दिखने लगीं, तभी पुलिस हरकत में आई. जांच में सामने आया कि इन वीडियो के लिंक से लोग Telegram ग्रुप्स तक पहुंचते थे, जहां इन्हें ₹700 से ₹4,000 तक में बेचा जा रहा था.

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जब साइबर टीम ने जांच की तो चौंकाने वाला सच सामने आया. देशभर के 80 CCTV डैशबोर्ड हैक हो चुके थे. इनमें पुणे, मुंबई, नासिक, सूरत, अहमदाबाद, दिल्ली जैसे शहर शामिल थे. पीड़ित 20 राज्यों में फैले थे. सिर्फ अस्पताल नहीं, बल्कि स्कूल, दफ्तर, फैक्ट्री और यहां तक कि घरों के कैमरे भी निशाने पर थे.

9 महीनों में 50,000 क्लिप चोरी

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक के बीच करीब 50,000 वीडियो क्लिप्स चुराई गईं. इन फाइलों को दुनिया भर के डार्क वेब और पोर्न नेटवर्क्स पर बेचा गया. सबसे हैरानी की बात यह है कि आरोपी पकड़े जाने के बाद भी ये क्लिप्स जून 2025 तक Telegram पर घूमती रहीं.

साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत के ज्यादातर CCTV सिस्टम अब भी वही फ़ैक्ट्री सेट पासवर्ड admin123 पर चलते हैं. अहमदाबाद साइबर क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया, “मुख्य तरीका ‘ब्रूट फोर्स अटैक’ था. इसमें सॉफ्टवेयर पासवर्ड तोड़ने के लिए लाखों अक्षर और नंबर के कॉम्बिनेशन आजमाता है. अगर पासवर्ड आसान हो, जैसे admin123, तो सिस्टम मिनटों में खुल जाता है.”

मुख्य आरोपी परीत धामेलिया, जो बीकॉम ग्रेजुएट है. उसने पूरे ऑपरेशन को चलाने के लिए 3 खास सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किए. दूसरा आरोपी रोहित सिसोदिया, जो दिल्ली से पकड़ा गया, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा धारक था. उसने चोरी किए गए लॉगिन डिटेल्स का इस्तेमाल करके अस्पतालों के कैमरों तक रिमोट एक्सेस हासिल की.