दिल्ली में यमुना का जलस्तर एक बार फिर चिंता का विषय बनता जा रहा है. हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से इस मानसून में पहली बार 50,000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है, जिससे राजधानी में जलस्तर बढ़ने की आशंका है.
केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अनुसार, कल (22 जुलाई) तड़के 1 बजे बैराज से जल प्रवाह 54,707 क्यूसेक पर पहुंच गया. आमतौर पर बैराज से छोड़ा गया पानी 48 से 50 घंटे में दिल्ली पहुंचता है, जहां पुराना रेलवे पुल इसका मुख्य निगरानी बिंदु है.
भविष्य की चेतावनी और जलस्तर की स्थिति
मंगलवार (22 जुलाई) शाम 5 बजे तक पुराने रेलवे पुल पर यमुना का जलस्तर 202.24 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी स्तर 204.50 मीटर से नीचे है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलस्तर बढ़ सकता है. यमुना एक्टिविस्ट और SANDRP सदस्य भीम सिंह रावत के अनुसार, ऊपरी यमुना बेसिन में बारिश जारी रही तो अगले कुछ दिनों में जलस्तर में और इजाफा संभव है. सोमवार रात 9 बजे के बाद से पानी का बहाव 4 घंटे तक 50,000 क्यूसेक से ऊपर रहा और फिर 2 बजे तक घटकर 48,974 क्यूसेक हो गया.
पिछले साल की भयावह बाढ़ ने मचाई थी तबाही
2023 की जुलाई में भारी तबाही मचाने वाली बाढ़ के दौरान यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड 208.66 मीटर तक पहुंच गया था, जब हथिनीकुंड से 3.59 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. पीटीआई के अनुसार, उस समय मयूर विहार, ITO, सलीमगढ़ बायपास और सिविल लाइंस जैसे कई इलाके जलमग्न हो गए थे और हजारों लोग विस्थापित हुए थे. हालांकि, सितंबर में हुई भारी बारिश के बावजूद, पिछले साल चेतावनी स्तर 204.50 मीटर को दिल्ली ने मामूली अंतर से पार नहीं किया था और जलस्तर 204.38 मीटर पर रुक गया था.
सरकारी योजना और तैयारियां
दिल्ली सरकार की बाढ़ नियंत्रण योजना के अनुसार, जब हथिनीकुंड बैराज से 1 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जाता है, तभी औपचारिक रूप से पहली चेतावनी जारी होती है. तब सेक्टर-स्तरीय कंट्रोल रूम सक्रिय हो जाते हैं, नावों की तैनाती होती है और संवेदनशील इलाकों में निगरानी तेज कर दी जाती है. हालांकि फिलहाल ये स्थिति नहीं बनी है, लेकिन लगातार बारिश और बढ़ते जलप्रवाह को देखते हुए प्रशासन सतर्क है.