दिल्ली में यमुना नदी का पानी लगातार बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. कई इलाके जलमग्न हो चुके हैं और राहत शिविरों तक में पानी घुस गया है. इससे वहां रह रहे लोगों की परेशानी और बढ़ गई है. अब उन पर वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है.

गुरुवार को पुराने रेलवे पुल (लोहा पुल) पर सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच यमुना नदी का जलस्तर 207.47 मीटर पर पहुंच गया. शाम 7 बजे तक यह घटकर 207.42 मीटर रह गया. बाढ़ विभाग के अनुमान के मुताबिक शुक्रवार सुबह तक जलस्तर और घटकर 207.30 मीटर तक पहुंच सकता है.

सिविल लाइंस और सचिवालय में पानी

सबसे ज्यादा मुश्किल सिविल लाइंस इलाके में हो रही है, जहां उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आवास हैं. यहां सड़कें नालों में बदल गई हैं और घरों में गंदा पानी घुस गया है. दिल्ली सचिवालय और वासुदेव घाट के आसपास के इलाके भी डूब गए हैं. यही वजह है कि प्रशासन को सड़क यातायात को वैकल्पिक रास्तों पर मोड़ना पड़ा.

राहत शिविरों में भीषण दिक्कत

मयूर विहार फेज-1 और यमुना बाजार में बने राहत शिविरों में पानी घुस गया. इन शिविरों में पहले से बाढ़ पीड़ित लोग रह रहे थे. अब हालात और खराब हो गए हैं. विपक्षी दलों ने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं और कहा कि राहत शिविरों का जलमग्न होना प्रशासनिक नाकामी है.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के उस्मानपुर इलाके में तीसरे पुश्ते पर कुछ लोग और उनके पालतू जानवर फंस गए थे. इस दौरान राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने बचाव कार्य करने से इनकार कर दिया. बाद में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) और बोट क्लब की टीम ने सभी गायों और लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला.

व्यापारियों की कमर टूटी

मजनू का टीला इलाका भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां के रेस्तरां मालिक अपने दफ्तरों में सोने को मजबूर हैं. टैटू पार्लर की मशीनें खराब हो गई हैं, सैलून और स्पा के उपकरण काम नहीं कर रहे और कपड़ों की दुकानें बंद पड़ी हैं. कारोबारियों का कहना है कि लाखों का नुकसान हो चुका है.

मंदिर और अखाड़ा भी डूबे

कश्मीरी गेट के पास स्थित श्री मरघट वाले हनुमान बाबा मंदिर भी बाढ़ की चपेट में आ गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल बाढ़ के समय हनुमान जी की मूर्ति यमुना के पानी से स्नान करती है और इसे लोग पवित्र मानते हैं.

इसी तरह, सिविल लाइंस के पास चंदगी राम अखाड़े में भी पानी भर गया, जिसके चलते दिल्ली यातायात पुलिस को रास्ते बदलने पड़े.

खराब निकासी बनी बड़ी वजह

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि आईएसबीटी और सिविल लाइंस के पास पानी इसलिए भरा क्योंकि नालों को एहतियातन बंद कर दिया गया था. वहीं लोगों का आरोप है कि जब-जब यमुना खतरे के निशान से ऊपर जाती है, सरकार की तैयारी नाकाफी साबित होती है.

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने कहा कि यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन तक जाने वाला रास्ता दुर्गम हो गया है. हालांकि स्टेशन अभी चालू है और यात्री इसका इस्तेमाल इंटरचेंज प्वाइंट के तौर पर कर सकते हैं. लेकिन सलाह दी गई है कि लोग वहां तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग चुनें.

पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी कार्यालय ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को उफनती यमुना में तैराकी, नाव चलाने या किसी भी तरह की मनोरंजन गतिविधियों से दूर रहने को कहा है. किसी भी आपात स्थिति में लोगों को 1077 नंबर पर संपर्क करने की अपील की गई है.

राजनीतिक घमासान भी तेज

बाढ़ और राहत शिविरों की स्थिति को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी (आप) ने उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना और दिल्ली सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि दोनों ही जमीनी स्तर पर राहत कार्यों से गायब हैं.

वहीं, दिल्ली कांग्रेस ने कहा कि राहत शिविरों का डूब जाना चौंकाने वाला है और इससे साफ होता है कि सरकार के पास प्रशासनिक अनुभव की कमी है.

राहत शिविरों में रह रहे लोग अब डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे से डरे हुए हैं. गंदा पानी और मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. लोग कह रहे हैं कि प्रशासन को अब तुरंत सफाई और दवा छिड़काव पर ध्यान देना चाहिए, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं.