Delhi News: दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने मोहल्ला क्लीनिक, वृद्धा पेंशन और सरकारी अस्पतालों से डाटा एंट्री ऑपरेटरों को हटाने को लेकर कार्रवाई रिपोर्ट जमा नहीं करने पर मुख्य सचिव के प्रति ‘अप्रसन्नता’ जताई है. इस बात का खुलासा आधिकारिक दस्तावेज से हुआ है.विधानसभा सचिवालय द्वारा नौ जून को लिखे पत्र में मुख्य सचिव से समिति द्वारा सिफारिश की गई जांच को लेकर स्थिति रिपोर्ट और कार्रवाई रिपोर्ट 14 जून तक जमा करने का अनुरोध किया गया है और उसकी अगली बैठक में पेश होने को कहा गया है.


दिल्ली विधानसभा सचिवालय को 11 जून को भेजे गए जवाब में मुख्य सचिव नरेश कुमार के कार्यालय ने कहा कि कार्रवाई रिपोर्ट का मसौदा मंजूरी के लिए ‘सक्षम प्राधिकार’ के पास भेजा गया है और वहां से मंजूरी मिलने के बाद उक्त जानकारी समिति को दी जाएगी. दरअसल, दिल्ली विधानसभा ने 19 जनवरी 2023 को याचिका समिति की तीन रिपोर्ट को स्वीकार किया था. ये रिपोर्ट वृद्धा पेंशन के भुगतान नहीं किए जाने, मोहल्ला क्लीनिक में दवाओं और जांच किट की कमी और कर्मियों के वेतन भुगतान नहीं होने और अचानक दिल्ली सरकार के अस्पतालों के ओपीडी से डाटा एंट्री ऑपरेटरों को हटाने से जुडा है, जिसकी वजह से कथित तौर पर ‘अराजकता’ की स्थिति उत्पन्न हुई.


कमेटी मुख्य सचिव के इस रवैये से नाखुश


विधानसभा सचिवालय के पत्र के मुताबिक तीनों रिपोर्ट पर कार्रवाई रिर्पोट 10 फरवरी से 30 दिनों के भीतर जमा करनी थी. इस संबंध में मुख्य सचिव को 14 मार्च और 16 मई को स्मरण पत्र भेजा गया लेकिन उसका जवाब नहीं आया. पत्र में कहा गया कि मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा कार्रवाई रिपोर्ट जमा नहीं करने की वजह से समिति ने सात जून को बैठक कर स्थिति की जानकारी मांगी. हालांकि, ‘‘ न तो आप (मुख्य सचिव) और न ही आपके कार्यालय से कोई पेश हुआ बल्कि ‘आपके शहर से बाहर होने’ का हवाला देकर उपस्थिति से छूट मांगी गई. विधानसभा सचिवालय के उप सचिव द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया, ‘‘मुझे याचिका समिति के अध्यक्ष ने निर्देश दिया है कि आपको सूचित करें कि समिति ऐसे मुद्दों पर आपके द्वारा गंभीरता नहीं दिखाए जाने से अप्रसन्न है जिसका खामियाजा अंतत: जनता को भुगतना पड़ रहा है.


राजशेखर ने पेश न होने की बताई ये वजह


बता दें कि कमेटी के आदेशों को गंभीरता से न लेने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले दिल्ली विधानसभा की स्टैंडिंग कमेटी ने विशेष सतर्कता सचिव राजशेखर को पेश होने के लिए बुलाया था. राजशेखर कमेटी के सामने पेश नहीं हुए थे. कमेटी के सामने पेश होने के बदले उन्होंने कमेटी को एक पत्र लिखकर जानकारी दी है कि नए अध्यादेश के बाद कमेटी के पास अधिकारियों को बुलाने का अधिकार नहीं है. राजेशेखर ने अपने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया था कि पारदर्शिता के लिए 2 हफ्ते बाद मैं कमेटी के सामने पेश हो सकता हूं. आईएएस राजशेखर पर एक व्यक्ति ने नौकरी देने के मामले में जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप लगाया था. 


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