MCD Mayor Election 2023: दिल्ली एमसीडी के चुनाव के नतीजों के आने के बाद एमसीडी (MCD) के गठन के लिए सोमवार यानी छह जनवरी को तीसरी बार बैठक बुलाई गई थी. एमसीडी सदन की बैठक में मेयर, उपमेयर सहित स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों का चुनाव होना था, लेकिन कल भी पहले के दो मौकों की तरह सदन में हंगामे के बाद पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दी. जिस वजह से कल भी दिल्ली (Delhi) को अपना मेयर नहीं मिल पाया. लगातार चुनाव (MCD Mayor Election) प्रक्रिया में हंगामे और शोर-शराबे की वजह से व्यवधान पड़ रहा है. इसे लेकर आप (AAP) और बीजेपी (BJP) के एक दूसरे के आरोप-प्रत्यारोप तो सामने आ ही रहे हैं, साथ ही कांग्रेस पार्टी भी इन दोनों पार्टियों पर लगातार चुनाव ना होने देने का आरोप लगा रही है.


हंगामे के बाद मेयर का चुनाव स्थगित


एमसीडी सदन में लगातार आम आदमी पार्टी (AAP) एल्डरमैन के मतदान के अधिकार का विरोध कर हंगामा कर रही है, तो वहीं पीठासीन अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी उनके दो विधायक अखिलेश त्रिपाठी और संजीव झा के मतदान से प्रतिबंधित किये जाने से भी आप के पार्षदों में नाराजगी दिखी. वहीं आरोपी विधायकों को बाहर किये जाने की मांग को लेकर बीजेपी के पार्षदों ने भी सदन में काफी हंगामा किया. जिसके बाद पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा को चुनाव को स्थगित करना पड़ा.


क्या यह एक साजिश है? 


चूंकि, आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही एक दूसरे पर चुनाव के दौरान हंगामा कर स्थगित करवाने की जिम्मेदार ठहरा रही है, ऐसे में सवाल उठता है कि कौन सही है और बार-बार ऐसे हालात क्यों उठ रहे हैं? क्या ये पूरा हंगामा सिर्फ एल्डरमैन के मतदान के अधिकार को लेकर है या कोई और वजह हो सकती है? या फिर ये किसी साजिश के तहत ऐसा किया जा रहा है? अब आप सोच रहे होंगे कि चुनाव ना होने देने के लिए कोई क्यों साजिश रचेगा और इससे किसी भी पार्टी को क्या फायदा होगा, क्योंकि चुनाव तो होना ही है और वो होकर रहेगा. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अभी अगर चुनाव हुआ तो भी मेयर का चुनाव फिर से अप्रैल में होगा. यानी लगभग 02 महीने का समय बचा है. ऐसे में कोई भी पार्षद सिर्फ दो महीनों के लिए मेयर नहीं बनना चाहता होगा. इस बात को इस तथ्य से पुष्टि मिलती है कि एमसीडी में आप को बहुमत मिला है और उनका मेयर और उपमेयर चुना जाना तय है. बावजूद इसके आम आदमी पार्टी लगातार हंगामा कर चुनाव को टालने में अपना योगदान दे रही है. वहीं बीजेपी भी सदन की कार्यवाही को स्थगित करवाने की जिम्मेदार है. बीजेपी को पता है कि उनके पास बहुमत नहीं है. फिर भी वो सदन में आप के पार्षदों के साथ उलझ रहे हैं. वो भी एक बार नहीं बल्कि् दो-बार नहीं बार-बार.


सिसोदिया ट्वीट कर पहले ही जता दी थी आशंका


अगर कड़ियों को जोड़ा जाए, तो कल सदन में चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीटकर बीजेपी पर तंज कसते हुए लिखा था की 'बीजेपी ने अपने पार्षदों को आज फिर एमसीडी बैठक में मेयर चुनाव ना होने देने के निर्देश दिए हैं. जहां, उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए लिखा कि बीजेपी पार्षदों को सदन शुरू होते ही किसी भी बहाने से हंगामा करने के लिए कहा गया है.' वहीं उन्हें इस बात का भी अंदेशा पहले से ही था कि पीठासीन अधिकारी फिर से पिछली बार की तरह सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देंगे. कल सदन में हंगामे की भेंट चढ़े चुनाव के बाद दिल्ली कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष ने भी इसके लिए आप और बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि दोनो पार्टी सत्ता की लड़ाई के जनहित और दिल्ली के विकास की अनदेखी कर रही है. साथ ही कहा कि जब सदन में केजरीवाल के पास बहुमत है, तो फिर वो बार-बार हंगामा क्यों कर रहे हैं? उन्होंने भी इसके पीछे केजरीवाल के मास्टरमाईंड के होने की आशंका जताई थी. जबकि काँग्रेस पार्टी के रुख को फिर से स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेने के अपने निर्णय पर अडिग है.


बीजेपी ने ट्वीट से ही दिया था सिसोदिया का जवाब 


डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के ट्वीट पर जवाब देते हुए दिल्ली बीजेपी के कार्यकारिणी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा था कि 'आप को अपने बहुमत पर भरोसा नहीं है. वो ही किसी भी छोटी बात पर हंगामा कर सदन को स्थगित करवाते हैं. अगर आज भी ऐसा हुआ तो इसके लिए केजरीवाल जिम्मेदार होंगे. पीठासीन अधिकारी ने दिया एल्डरमैन को मतदान का अधिकार: आरोप-प्रत्यारोप के साथ दिन की शुरुआत के बाद सदन में चुनाव की कार्यवाही के लिए पार्षद पहुँचे. इससे पहले आप के 134 पार्षदों ने पीठासीन अधिकारी को सदन में होने वाले चुनाव में एलजी द्वारा मनोनीत 10 सदस्य, जिन्हें एल्डरमैन कहा जाता है, को मतदान से प्रतिबंधित करने की माँग की चीट्ठी सौंपी थी. लेकिन सदन में पीठासीन अधिकारी ने एक संदर्भ का हवाला देते हुए एल्डरमैन को मतदान की अनुमति दी, जिस पर आप ने हंगामा शुरू कर दिया. ऐसे में अगर एल्डरमैन के मतों को जोड़ा जाए, तो भी बीजेपी अपना मेयर नहीं बना सकती है, जिससे आप पर फिर से सवाल उठता है कि वो क्यों ऐसा कर रहे हैं, क्या वाकई में इसके पीछे कोई साजिश ही है?


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