महिलाओं और लड़कियों के लिए ये दुनिया उतनी सरल है नहीं जितनी लोग कहते हैं. कई मौकों वह घरों और स्कूलों में हिंसा और यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं और अब तो नौकरी करते वक्त भी उनको इस दर्द से गुजरना पड़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार देश भर में काम करने वाली लगभग 50 फीसदी महिलाएं कम से कम एक बार अपने करियर लाइफ में यौन शोषण का शिकार हुई हैं.


यहां तक की बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं, जो इस अपराध का शिकार हुई हैं. लेकिन लोक-लाज के डर से वो शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं. दूसरी सबसे बड़ी बात की इन यौन शोषण के मामले में देश की टॉप 100 कंपनियां पीछे नहीं हैं. यहां से बहुत से ऐसे मामले सामने आए हैं. जिनमें यहां काम करने वाली महिलाओं के साथ यौन शोषण हुआ है.


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दब जाते हैं ज्यादातर मामले


हमारे समाज में शायद ही ऐसी कोई महिला होगी, जो यौन उत्पीड़न से परिचित नहीं होगी. कुछ महिलाएं आए दिन यौन उत्पीड़न से होकर गुजरती हैं. यौन उत्पीड़न के जितने केस हमारे समाज में सामने आते हैं, उससे कहीं ज्यादा केस सामने आने ही नहीं दिए जाते. यौन उत्पीड़न के मामले को अंदर ही दबा देने के कई कारण हैं. जिसमें समाज में बेइज्जती, कई साल न्याय पाने के लिए कोर्ट के चक्कर काटना या उत्पीड़न के बाद मिलने वाली धमकी. इन सभी कारणों से कई बार ये मामले दबा दिए जाते हैं. इस मामले को छुपाना ही उत्पीड़न को बढ़ाने का एक बड़ा कारण है.


क्या होता है यौन शोषण


देश में सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के अलग-अलग राज्यों के दफ्तरों में महिलाओं के साथ यौन शोषण हो रहा है. सबसे बड़ी बात की यौन शोषण के लाख-दो लाख नहीं बल्कि पूरे 70.17 लाख मामले सामने आए हैं. कई बार तो लड़कियां ये समझ ही नहीं पातीं कि उनके साथ यौन उत्पीड़न यानी सेक्सुअल हैरेसमेंट हुआ है. सबसे पहले जान लीजिए सेक्सुअल हैरसमेंट यानी यौन उत्पीड़न होता क्या है. किसी भी तरह की सेक्सुअल एक्टिविटी जो बिना सहमति के हो वो सेक्सुअल हैरसमेंट कहलाती है. वैसे तो इस दायरे में लड़के-लड़कियां दोनों आते हैं, लेकिन अक्सर लड़कियों के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट ज्यादा देखा जाता है.


यौन उत्पीड़न में क्या-क्या शामिल


किसी लड़की को बिना उसकी मर्जी के गंदी नीयत से छूना, गंदे मैसेज भेजना, जबरदस्ती किस करना, गंदी बातें करना, लड़की को देखकर भद्दी टिप्पणी करना, सीटी बजाना, उसकी सेक्सुअल लाइफ के बारे में जानने की कोशिश करना और फोन पर या सामने उससे भद्दे मजाक करना ये सारी बातें सेक्सुअल हैरेसमेंट में आती हैं. हमारे देश में सेक्सुअल हरैसमेंट के जितने केस दर्ज होते हैं उससे कहीं ज्यादा छुपाए जाते हैं. हालांकि पिछले कुछ समय में थोड़ा बदलाव जरूर आया है. कई महिलाएं इस तरह की घटनाओं के खिलाफ खुलकर सामने आती हैं. लेकिन ऐसे मामले बेहद कम होते हैं और वजह होती है इससे जुड़े कानून की जानकारी न होना.


सेक्सुअल हैरेसमेंट पर कानून


साल 2013 तक भारतीय संविधान की धारा 354 के तहत सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ थाने में दर्ज शिकायत दर्ज आरोप सिद्ध होने पर उसे आईपीसी की धारा के तहत एक साल से लेकर 5 साल की सजा हो सकती थी. चाहे मामला कोई भी हो. लेकिन 2013 के बाद इस कानून में संसोधन कर सेक्सुअल हैरेसमेंट को चार धाराओं में बांटा गया है. धारा- 354-A, धारा- 354-B, धारा- 354-C,धारा- 354-D.


धारा 354-A यौन उत्पीड़न



  • किसी महिला को गलत या दुर्भावनापूर्ण इरादे से छूना जिसमें स्पष्ट यौन प्रस्ताव शामिल हैं.

  • किसी महिला की सहमति के बिना जबरन अश्लील या सेक्सुअल सामग्री दिखाना.

  • मैथुन(सेक्स) के लिए मांग या अनुरोध.

  • किसी महिला पर अभद्र या कामुक टिप्पणियां करना.


धारा 354-A के तहत सजा



  • 1 से 3 वर्ष कठोर कारावास और जुर्माना. 

  • यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.

  • यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.


धारा 354-B निर्वस्त्र करने के आशय से किसी स्त्री पर हमला या बल प्रयोग करना


जब कोई व्यक्ति किसी स्त्री को बलपूर्वक निवस्त्र होने के लिए मजबूर करता है या उसे निर्वस्त्र होने के लिए उकसाता है तो उसपे धारा 354-बी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. 


धारा 354-B के तहत सजा



  • सजा - 3 से 7 वर्ष कठोर कारावास और जुर्माना.

  • यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.

  • यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.


धारा 354 C अश्लील वीडियो बनाना/तस्वीर लेना


जब किसी महिला का अश्लील वीडियो बनाया जाता है.इसके अलावा महिला के किसी प्राइवेट काम को पब्लिकली फैलाना भी इस धारा के तहत शामिल किया गया है. करता है तो उसपे धारा 354-सी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. 


धारा 354-C के तहत सजा



  • पहली बार दोषी पाये जाने पर 1 से 3 वर्ष कारावास 

  • दूसरी बार दोषी पाये जाने पर 7 वर्ष कारावास और जुर्माना.

  • यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.

  • यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.


धारा 354-D पीछा करना


कोई व्यक्ति जो किसी स्त्री का पीछा किसी गलत इरादे से करता है या किसी के लिये करता है अथवा इंटरनेट, ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक संसूचना के माध्यम निगरानी करता है तो उसपे धारा 354-डी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है.


धारा 354-D के तहत सजा



  • पहली बार दोषी पाये जाने पर 1 से 3 वर्ष कारावास.  

  • दूसरी बार दोषी पाये जाने पर 5 वर्ष कारावास और जुर्माना.

  • यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.

  • यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.