Delhi News: पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को भोपाल में समान नागरिक संहिता की वकालत करने के बाद से एक बार फिर देश में राजनीति चरम पर पहुंच गई है. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस जहां केंद्र पर मणिपुर हिंसा के मुद्दे को नजरअंदाज करने का आरोप लगा रही है, वहीं जनता दल यूनाइटेड पीएम के बयान को वोटबैंक की राजनीति बता रही है. इस बीच विपक्षी दलों के आरोपों पर पलटवार करते हुए विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने पलटवार कहा कि एक देश में दो कानून नहीं हो सकते.


विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि देश में यूसीसी लागू करना जरूरी है. देश की महिलाओं को घरों में वह स्थान मिले जिसकी वे सदियों से हकदार हैं. मोदी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि एक देश में दो कानून संभव नहीं. इस तरह की बात करने वाले देश का भला नहीं सोच सकते. 


सभी से बात करे केंद्र सरकार


इसके जवाब में जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि समान नागरिक संहिता पर सियासी दलों और हितधारकों से केंद्र को बातचीत करने की जरूरत है. जहां तक बीजेपी की बात है वो केवल वोटबैंक की राजनीति करती है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सख्त तेवर अख्तियार करते हुए कहा कि पीएम को अपनी सोच का सॉफ्टवेयर बदलने की जरूरत है. भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात कही गई है. इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है. हिंदुओं में जन्म-जन्म का साथ है. बीजेपी वाले भारत की विविधता को समझने की कोशिश क्यों नहीं करते?


देश को चलाने के लिए एक समान कानून जरूरी


बता दें कि एक दिन पहले यानी 27 जून को पीएम नरेंद्र मोदी ने एमपी की राजधानी भोपाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत के मुसलमान भाई-बहनों को यह समझना होगा कि कौन से सियासी दल उनको भड़का कर अपना फायदा उठा रहे हैं. एक बार फिर समान नागरिक संहिता के नाम पर देश के लोगों को बरगलाया जा रहा है. उन्होंने लोगों से पूछा- आप ही बताएं, एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा, तो घर चल पाएगा क्या?  इसके लिए जरूरी है कि एक समान कानून हो. संविधान में भी यही व्यवस्था है. 


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