Stephens College Withdraws Order: दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के सेंट स्टीफंस कॉलेज (Stephens College) ने छात्रों को सस्पेंड करने का आदेश वापस ले लिया है. फर्स्ट ईयर के 100 से अधिक छात्रों को कथित तौर पर सुबह की प्रार्थना सभा में शामिल नहीं होने के कारण निलंबित कर दिया गया था. साथ ही उन्हें परीक्षा देने से भी रोक दिया गया था. इस फैसले की हुई आलोचना के बाद मंगलवार (20 फरवरी) को कॉलेज प्रशासन के अपना आदेश वापस ले लिया. कॉलेज ने कहा कि स्टूडेंट्स को भेजे ई-मेल में गलत शब्दों का चयन किया गया.


कॉलेज के छात्रों और उनके अभिभावकों को भेजे एक ईमेल में स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वर्गीज ने स्पष्ट किया कि सुबह की प्रार्थना सभा में उपस्थिति के संबंध में कोई निलंबन नहीं होगा. वर्गीज की ओर से भेजे गए ई-मेल में कहा गया है, “शनिवार 17 फरवरी 2024 को मेरे ऑफिस से एक ई-मेल भेजा गया. इसमें गलतफहमी हुई और इसमें गलत शब्दों का चयन हुआ जिसके लिए मैं माफी मागंता हूं''


स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल ने क्या कहा?


स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वर्गीज ने कहा कि जब वह अपने दफ्तर को अपनी ओर से लिखित रूप में संवाद करने का निर्देश देते हैं तो उन्हें भी ई-मेल भेजा जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी परंपरा के तहत कॉलेज में सुबह प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है और इसे धार्मिक सभा के रूप में आयोजित नहीं किया जाता है. उन्होंने बताया कि सभा के दौरान कई धार्मिक और दर्शन संबंधी ग्रंथों के हिस्से पढ़े जाते हैं. छात्रों, खासकर प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे कॉलेज के 'इतिहास, परंपराओं और प्रथाओं को समझने' के लिए सुबह की सभा में भाग लें.


'ई-मेल में गलत शब्दों का चयन'


वर्गीज ने कहा कि कॉलेज की ओर से दी जाने वाली शिक्षा में माता-पिता महत्वपूर्ण हितधारक हैं, और इसी भावना से उन्हें वह ई-मेल भेजा गया, जिसमें गलत शब्दों का चयन किया गया. इससे पहले दिन में, शिक्षकों और छात्रों ने सुबह की सभा में शामिल नहीं होने के कारण फर्स्ट ईयर के छात्रों के निलंबन और उन्हें दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल होने से रोकने वाले एक ईमेल पर चिंता जताई. छात्रों ने कहा कि उनके माता-पिता को इस मुद्दे पर प्रिंसिपल से मिलने के लिए कहा गया था, ऐसा नहीं करने पर छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही थी.


स्टीफंस कॉलेज के कदम की हुई कड़ी आलोचना


कॉलेज के शिक्षकों सहित अलग-अलग वर्गों ने इस कदम की आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि छात्रों को किसी धार्मिक गतिविधि में भाग लेने के लिए 'मजबूर' करना यूनिवर्सिटी के नियमों के खिलाफ है. शिक्षकों ने ईमेल भेजने वाले व्यक्ति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी मांग की.


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