Delhi News: राजधानी दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने एक ऐसा मेडिकल चमत्कार कर दिखाया है, जो धरती पर डॉक्टरों के भगवान के रूप में होने की पुष्टि करता है. दरअसल, उत्तराखंड से फैक्ट्री में काम करने वाले एक 44 वर्षीय शख्स को 7 जनवरी को नई दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में इलाज के लिए लाया गया था. उसके बाएं हाथ की तीन उंगलियां और एक अंगूठा जड़ से कट कर अलग हो चुका था.


उसके साथ ये हादसा उत्तराखंड की फैक्ट्री में काम करते हुए हुआ. जहां से मरीज को अस्पताल पहुंचने में आठ घंटे लग गए. वो बुरी तरह से लहू-लुहान था. वह अपने साथ कटी और कुचली हुई तीन उंगलियां एक पॉलीथिन बैग में तो ले आया लेकिन अंगूठा मौजूद नहीं था. 


 कुचली हुई उंगलियों को वापस जोड़ना चैलेंज 
 सर गंगा राम हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक के चेयरमैन डॉ. महेश मंगल ने बताया कि हमारे लिए चुनौती न केवल तीन कुचली हुई उंगलियों को वापस हाथ से जोड़ना था, बल्कि सबसे बड़ी चुनौती नहीं लाए हुए अंगूठे को फिर से बनाना था. इसके लिए हमने रोगी के दाहिने पैर की दूसरी उंगली को अंगूठे में परिवर्तित करने का फैसला किया. जिससे उसका हाथ पूरी तरह काम करने लायक बन सके. ये काम बहुत ही कठिन और चुनौतीपूर्ण था.


किया गया टीम का गठन 
इसके लिए डॉ. महेश मंगल के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी डिपार्टमेंट से डॉ. एस एस गंभीर, डॉ. निखिल झुनझुनवाला और डॉ. पूजा गुप्ता और हड्डी रोग विभाग से डॉ. मनीष धवन शामिल थे.


8 घंटे की लंबी माइक्रोसर्जरी 
वहीं घायल शख्स को तुरंत ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और 10 घंटे की लंबी माइक्रोसर्जरी के बाद नसों, धमनियों और कुचली हुई हड्डियों और टेंडन को माइक्रोस्कोप के द्वारा महीन सर्जरी करके तीनों अंगुलियों को फिर से जोड़ दिया गया. चूंकि घायल शख्स अंगूठा साथ नहीं लाया था, तो डॉक्टरों ने एक दूसरे ऑपरेशन के द्वारा शख्स के दाहिने पैर की दूसरी उंगली को काट कर उसके बाएं हाथ के अंगूठे वाली जगह पर जोड़ने का फैसला किया. ये ऑपरेशन काफी जटिल और लम्बा था. इसमें करीब आठ घंटे का समय लगा.


सबसे बेहतर बना है केंद्र 
माइक्रोसर्जरी की शुरुआत 1981 में दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में ‘डिपार्टमेंट ऑफ प्लास्टिक सर्जरी’ में हुई थी. डिपार्टमेंट ऑफ प्लास्टिक सर्जरी के चेयरमैन डॉ. महेश मंगल का कहना है कि तब से ये विभाग औद्योगिक, कृषि, घरेलू, सड़क यातायात दुर्घटनाओं आदि के कारण कटे हुए शरीर के अंगों को फिर से लगाने में सबसे बेहतर केंद्र बन गया है. अब तक यहां हाथ की अंगुलियों, पैर की उंगलियों, लिंग, खोपड़ी, कान, ऊपरी अंग, आदि जैसे शरीर के विभिन्न कटे हुए अंगों के 500 पुनर्प्रत्यारोपण हो चुके है.


कटे हुए अंग को कैसे बचाएं  
डॉ. महेश मंगल ने कटे हुए हिस्सों को लाने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि, घायल और उसके परिजनों को हमेशा कोशिश करनी चाहिए की कटे हुए अंग के हिस्से वो साथ लेकर आएं. यह अति आवश्यक है की कटे हुए अंग को जीवित रखने के लिए पहले अच्छे साफ पानी से धो कर एक साफ़ पॉलिथीन में डाल लें.


उसके बाद इस पॉलिथीन को एक दूसरे बर्फ से भरे पॉलिथीन में डाल लें. ध्यान यह रखना है की कटे हुए अंग का सीधा संपर्क बर्फ से न हो. इसके बाद जल्द से जल्द मरीज को कटे हुए अंगो के पॉलिथीन के साथ बड़े अस्पताल ले जाएं. जहां  इसे दोबारा जोड़ने की विधि संभव हो.


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