Sharad Yadav Death News: जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष व समाजवादी सोच के नेता शरद यादव (Sharad Yadav) का एक दिन पहले निधन हो गया. इसी के साथ जेपी आंदोलन से पैदा हुआ एक और समाजवादी नेता हमारे बीच में नहीं रहा. शरद यादव जैसे नेता उस राजनीतिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते रहे, जिसे कभी महात्मा गांधी ने लोकतंत्र का ध्येय माना था. दरअसल, गांधी के सर्वोदय सिद्धांत का मतलब सभी का उदय है. गांधी ये भी जानते थे कि सभी का उदय संभव नहीं है. आप कहेंगे, फिर ऐसे सर्वोदय का आप क्या करेंगे, तो मैं आपको यही कहना चाहूंगा कि अधिकतम लोग यहीं पर मार खा जाते हैं. गांधी की इस सोच के पीछे ध्येय यह है कि जब आप सबके हित के लिए सोचेंगे और काम करेंगे, तभी आप अधिकतम का भला कर पाएंगे. अगर आप लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुशासन में तब्दील करना चाहते हैं तो किसी भी चुनी हुई सरकार के लिए ऐसा करना जरूरी है. 


जेपी, लोहिया, मधु दंडवते, मधु लिमये जैसे नेताओं से सियासी सीख लेकर समाजवादी नेता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाले शरद यावद (Sharad Yadav) की सोच भी वैसी ही थी. उनका कहना था कि सरकार उस नीति पर अमल करे, जिसमें गरीब, दलित, पिछड़ी जातियों और मजदूरों का भला हो सके. उनकी भलाई पर वह जोर इसलिए देते थे कि कुछ लोग खुद अपनी भलाई नहीं कर सकते हैं. अमीर और शिक्षित लोग तो अपना भला कर लेते हैं, लेकिन समाज एक बड़ा तबका खुद के लिए भी अच्छा नहीं कर पाता. सरकार को उन्हीं लोगों की चिंता करनी चाहिए. फिर, एक सरकार बनाने में उनकी भी भूमिका उतनी ही अहम होती है, जितनी की प्रभावशाली लोगों की. 


शरद जी से नहीं, अपने गुरु से मिला 
संभवत: शरद (Sharad Yadav)  जी की उन्हीं विचारों से प्रेरित होकर अप्रैल, 2022 में एक दिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने एक कार्यक्रम के दौरान शरद यादव जी से घंटों तक बातचीत की. उस मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि वो अपने गुरु से मिलने पहुंचे थे. गुरु ने भी अपनी तरफ से इस मुलाकात को लेकर 'अपार हर्ष' व्यक्त किया था. शरद यादव ने इस मुलाकात के दौरान राहुल गांधी को राजनीतिक सलाह भी दी थी. उसी गुरु का एक दिन पहले निधन होने के बाद राहुल गांधी उनको श्रद्धांजलि देने शुक्रवार को छतरपुर स्थित उनके फार्म हाउस पहुंचे. परिवार के सदस्यों से बात की और ढांढस बंधाया. करीब 15 से 20 मिनट का समय परिवार के बीच गुजारा और बेटी से गले मिलने के बाद मीडिया से बात की.


छोटी सी मुलाकात में समझा दी 'राजनीति' 
मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने उनसे पहले की मुलाकात को याद करते हुए कहा कि उस दिन वो जा रहे थे, तब मैनें कहा - शरद यादव जी, आप हमारे साथ चलिए और मैनें कहा कि आप राजनीति को अच्छे से समझते हैं, बस आपके राजनीतिक अनुभव को समझना चाहता हूं. उन्होंने मुझे दो घंटे तक हिंदुस्तान की राजनीति के बारे में समझाया. उन्होंने कहा कि इंदिरा और उनके बीच इज्जत, प्यार और मोहब्बत का रिश्ता था. 


राहुल गांधी बोले - 'शरद यादव जी से बहुत सीखा हूं. राजनीति के बारे में बहुत सीखा है. शरद यादव जी नहीं रहे, लेकिन जिस प्रकार उन्होंने राजनीतिक जिंदगी जी, उसमें उन्होंने रिस्पेक्ट नहीं खोई. ये बड़ी बात है. उन्होंने ये भी बताया कि कैसे शरद यादव ने एक छोटे से सफर में ही भारत की राजनीति समझा डाली - और वो उसे कभी नहीं भूल सकते.'


ये किस्सा राहुल गांधी ने बिहार चुनाव के दौरान भी शेयर किया था. असल में शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव कांग्रेस के टिकट पर बिहारीगंज विधानसभा से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन हार गईं थीं. राहुल गांधी के वोट मांगने के बाद सुभाषिनी यादव ने एक इमोशनल पोस्ट लिखी थी - अपने पोस्ट में उन्होंने बताया कि कैसे राहुल गांधी ने बीमार पिता के नहीं पहुंच पाने की स्थिति में उनको बहन बताया और हौसला अफजाई की. सुभाषिनी यादव की शादी हरियाणा में हुई है.


तो गुरु की सलाह मानेंगे राहुल गांधी! 
यहां पर इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शरद (Sharad Yadav)  जी के साथ घंटों बातचीत की तो राहुल गांधी की ओर से गुरु वाले भाव के इजहार को महसूस करते ही, शरद यादव ने कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की सलाह उन्हें दी थी. इतना ही नहीं, जब राहुल गांधी ने शरद यादव को गुरु बताया तो ये भी सवाल हुआ कि उनके कांग्रेस का नेतृत्व करने को लेकर क्या सलाह होगी. शरद यादव ने न सिर्फ हामी भरी, बल्कि ये भी बता डाला कि कैसे कांग्रेस को 24 घंटे चलाने वाला कोई है तो वो राहुल गांधी ही हैं. समाजवादी नेता शरद यादव की ये भी सलाह रही कि कांग्रेस को चाहिये कि वो राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाकर कमान सौंप दे. शरद यादव की इस सलाह पर राहुल गांधी ने सिर्फ इतना ही कहा, 'ये देखने वाली बात है.'


उस समय, शरद यादव के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के मसले पर राहुल गांधी ने कोई टिप्पणी तो नहीं की. ठीक भी है, जब ऐसे ही सब काम चल रहा हो तो कोई औपचारिक जिम्मेदारी लेकर फजीहत बढ़ाने का क्या मतलब है. ऐसे तो दायें बायें चल भी जाता है, बतौर कांग्रेस अध्यक्ष तो कई सारी औपचारिकताएं निभानी ही पड़तीं. 


लेकिन, अब अहम सवाल यह है कि शरद जी तो इस दुनिया में रहे नहीं, लेकिन क्या राहुल गांधी उनके सुझाव पर अमल कर भारतीय राजनीति को नई दिशा देंगे? यह सवाल प्रासंगिक इसलिए भी है कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं. वो सबको साथ लकर चलना चाहते हैं. इसके बावजूद, गुरु की सलाह पर वो फोकस क्यों नहीं करते? शरद यादव की राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सबसे बड़ी सलाह रही, "कांग्रेस को कमजोर वर्गों को पकड़ना जरूरी है... जो कांग्रेस के पास थे. राहुल गांधी दिल से ये काम कर सकते हैं... पर क्या वो ऐसा कर कांग्रेस को मजबूत बनाएंगे? अपने खोए जनाधार को फिर से पाने की कोशिश करेंगे. 


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