Delhi: दिल्ली के व्यवसायी मनोज वशिष्ठ 2015 एनकाउंटर से जुड़े मामले में दिल्ली की रॉउज एवन्यू कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और सीबीआई की करवाई पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस और सीबीआई के बीच समन्वय की कमी के कारण 10 साल से इस मामले में कोई करवाई नहीं हुई. रॉउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई और दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि दो जांच एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी के कारण 2015 में दर्ज की गई FIR पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
राउज एवेन्यू कोर्ट की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्योति माहेश्वरी ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि जांच एजेंसियां यानी दिल्ली पुलिस और सीबीआई के बीच समन्वय की कमी के कारण FIR नंबर 640/2015 पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. दरअसल, रॉउज एवन्यू कोर्ट उस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें 16 मई 2015 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के ऑपरेशन के दौरान व्यवसायी मनोज वशिष्ठ को ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित सागर रत्ना रेस्टोरेंट में गोली मार दी गई थी.
कथित रूप से पुलिस और मनोज वशिष्ठ के बीच हुई मुठभेड़ में उन्हें गोली लगी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी. इस ऑपरेशन को स्पेशल सेल की आठ सदस्यीय टीम ने अंजाम दिया था. इस घटना की जांच के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया था, लेकिन बाद में गृह मंत्रालय ने इस जांच को सीबीआई को ट्रांसफर कर कर दिया था.
दिल्ली पुलिस ने सीबीआई को भेजी थी जानकारी रॉउज एवन्यू कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रिपोर्ट की समीक्षा से पता चलता है कि थाना बागपत, उत्तर प्रदेश में दर्ज एफआईआर संख्या 640/15 की एक फोटो कॉपी सीबीआई, एससी-I शाखा, नई दिल्ली को 24 अक्टूबर 2015 को दिल्ली पुलिस के केंद्रीय जिले के DCP के लेटर के माध्यम से भेजी गई थी. यह लैटर डीएसपी, सीबीआई, एससी-I को लिखा गया था, जिसमें कहा गया था कि जीरो FIR और संबंधित दस्तावेज आवश्यक कार्रवाई के लिए सीबीआई को भेजे जा रहे हैं.
वहीं कोर्ट ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस के डीसीपी को FIR को सीबीआई को ट्रांसफर या भेजने का अधिकार नहीं था, जब तक कि केंद्र सरकार का आदेश न हो. इस आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि एफआईआर को उचित प्रक्रिया के तहत सीबीआई को नहीं भेजा गया था. इस कारण एफआईआर के दोबारा रजिस्टर्ड करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है.
कोर्ट ने मामले में सीबीआई को दी नसीहत रॉउज एवन्यू कोर्ट ने इस मामले में डीआईजी CBI से डिटेल रिपोर्ट मांगी थी और कहा किसी व्यक्ति या पीड़ित द्वारा दर्ज की गई किसी भी एफआईआर या रिपोर्ट को उसके निष्कर्ष तक ले जाना होता है. अगर CBI वैधानिक बाध्यताओं के कारण इस मामले में दर्ज FIR की जांच नहीं कर सकती थी, तो इस बारे में एक रिपोर्ट भेजी जानी चाहिए थी और मामले को किसी अन्य जांच एजेंसी को ट्रांसफर किया जाना चाहिए था. जिसे इसकी जांच करने का अधिकार हो. हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. कोर्ट 7 मार्च को मामले में अहम सुनवाई करेगा.