Ramadan 2024: दिल्ली के संगम विहार की एक मस्जिद में हाफिज को अनोखे तरीके से सम्मानित किया गया. खत्म कुरआन पर हाफिज इकबाल को स्कूटी तोहफे में दी गई. यूथ कमेटी ने हाफिज इकबाल को नकद के रूप में एक लाख 21 हजार की राशि दी. तरावीह की नमाज में 30 पारे हाफिज ने पढ़ा था. नमाजियों ने भी हाफिज की हौसलाअफजाई की. खत्म कुरआन की मजलिस को मस्जिद के अध्यक्ष ने संबोधित किया. 


खत्म कुरआन पर हाफिज को दी गयी स्कूटी


अब्दुल हमीद ने अपने संबोधन में धर्मगुरुओं के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि इस्लाम मुस्लिम धर्मगुरुओं को पैगंबरों का उत्तराधिकारी बताता है. पैगंबरों के उत्तराधिकारी होने की हैसियत से मुस्लिम धर्मगुरुओं का बड़ा महत्व है. बता दें कि पवित्र महीने रमजान का तीसरा अशरा चल रहा है. रमजान में पैगंबर मुहम्मद पर कुरआन नाजिल होना (अवतरित) शुरू हुआ था. इसलिए रमजान में हाफिज के पीछे मुसलमान कुरआन सुनने का एहतिमाम करते हैं. हाफिज तरावीह की नमाज में कुरआन सुनाते हैं. खत्म कुरआन पर हाफिज को तोहफे दिये जाते हैं.


रमजान के दौरान मस्जिद में हुई तरावीह 


अब्दुल हमीद ने कहा कि मुस्लिम धर्मगुरुओं को मान सम्मान दिये बिना दीन और मस्जिद की हिफाजत नहीं की जा सकती. इसलिए जरूरी है कि मुस्लिम धर्मगुरुओं का दिल से सम्मान किया जाए. उन्होंने नसीहत दी कि मुसलमान धर्मगुरुओं की जरूरतों का भी ख्याल रखें. खत्म कुरआन की मजलिस में नमाजियों की बड़ी तादाद शामिल रही. कार्यक्रम के समापन पर लोगों ने हाफिज से गले मिलकर मुबारकबाद दी.


बता दें कि रमजान के दौरान मस्जिदों में तरावीह सुनी जाती है. तरावीह में हाफिज कुरआन की सूरतें पढ़ते हैं. नमाजी भी ध्यान से कुरआन सुनने की कोशिश करते हैं. करीब सभी मस्जिदों में हाफिज के पीछे मुसलमान कुरआन सुनते हैं. रमजान की तरावीह का मुसलमानों में जबरदस्त उत्साह होता है. बच्चे और बूढ़े भी कतार में खड़े हो जाते हैं.


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