Delhi News: दिल्ली सेवा विधेयक दो दिन पहले राज्यसभा से पास हो गया, लेकिन दिल्ली की राजनीति और संसदीय प्र​क्रियाओं को लेकर सत्ताधारी पार्टी और विरोधी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने आरोप लगाया कि चूंकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने काले बिल और अपने झूठ को सही ठहराने के लिए राज्यसभा (Rajya Sabha) में बहस के दौरान न केवल निजी हमलों का सहारा लिया बल्कि बेकार की बहस पर भी जोर दिया. इतना ही नहीं, बीजेपी ने आधारहीन तर्कों के आधार पर उसे सही ठहराने की कोशिश की. 


आप नेता राघव चड्ढा ने कहा कि यही वजह है कि विरोधी दलों को दिल्ली सेवा विधेयक पर बहस को केंद्रित करने के लिए बार-बार सही मसले उठाने पड़े, लेकिन बीजेपी वालों की वजह से ऐसा करने का कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि ऐसे में विपक्ष के पास बिल का विरोध करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. इससे पहले राघव चड्ढा ने बीजेपी के नेताओं को नसीहत देते हुए कहा था कि उनसे मेरी अपील है कि उन्हें नेहरू-वादी बनने की जरूरत है. वो आडवाणी-वादी और वाजपेयी-वादी बने रहने की जरूरत है. राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि संसदीय कार्य नियम 110 सदन में किसी विषय पर बहस की इजाजत देता है. ताकि यह  तय करना संभव हो सके कि सदन द्वारा पास विधेयक को पास किया जाए या रिजेक्ट किया जाए.



BJP ने दिए विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के संकेत 


दूसरी तरफ राघव चड्ढा की ओर से इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के प्रस्ताव में शामिल सांसदों के हस्ताक्षर को फेक बताते हुए राज्यसभा चेयर से इस मामले की जांच की मांग कर दी. मंगलवार को यह मसला दिन भर गरमाया रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अगर जांच में सांसदों के हस्ताक्षर फेक पाए गए तो राघव चड्ढा के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है. फिलहाल, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बीजेपी की शिकायत पर इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. वहीं सुधांशु त्रिवेदी और नरहरि अमीन ने राघव चड्ढा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने के संकेत दिए हैं. 


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