दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से पिटबुल, टेरीयर्स, अमेरिकन बुलडॉग, रॉटवीलर जैसी ‘खतरनाक’ नस्ल के कुत्तों को रखने के लाइसेंस पर पाबंदी लगाने और उसे रद्द करने के अनुरोध संबंधी एक प्रतिवेदन पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेने को कहा. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने अक्टूबर में प्रतिवेदन देने वाले याचिकाकर्ता से कहा कि अधिकारियों को इस मुद्दे पर ‘निर्णय लेने’ दें क्योंकि वे ही संबंधित कानूनों और नियमों का मसौदा तैयार करते हैं.


सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कुत्तों की स्थानीय नस्लों को प्रोत्साहन की आवश्यकता पर भी जोर दिया. न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा, ‘‘वे (प्राधिकरण) तीन महीने के भीतर प्रतिवेदन पर निर्णय लें.’’ मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा की अगुवाई वाली एक पीठ ने पांच अक्टूबर को याचिकाकर्ता ‘लीगल अटॉर्नीज एंड बैरिस्टर लॉ फर्म’ को सीधे अदालत में याचिका दायर करने के बजाय पहले अपनी शिकायत लेकर सरकारी अधिकारियों के पास जाने को कहा था.


अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि बुलडॉग,रॉटवीलर, पिटबुल, टेरीयर्स, नियोपोलिटन मास्टिफ जैसी नस्ल ‘खतरनाक कुत्तों’ की हैं और भारत समेत 12 से अधिक देशों में उन पर पाबंदी लगायी गयी है लेकिन दिल्ली नगर निगम अब भी उन्हें पालतू जानवर के रूप में रखे जाने के लिए उनका पंजीकरण कर रहा है. याचिका में इन नस्ल के कुत्तों द्वारा अपने मालिकों समेत लोगों पर हमला करने की कई घटनाओं का जिक्र किया गया है.


याचिका में कहा गया है , ‘‘पिटबुल, टेरीयर्स, अमेरिकन बुलडॉग, रॉटवीलर, जैपनीज टोसा, बैंडॉग, नियोपोलटन मास्टिफ, वुल्फ डॉग, बोयरबोल, प्रेसा कैनेरियो, फिला ब्रैजिलिरियो, टोसा इनु, केन कोरसो, डोगो अर्जेटीनो और उपरोक्त कुत्तों के संकर नस्लों के कुत्तों को रखने के लाइसेंस पर पाबंदी लगाना और उन्हें रद्द करना समय की आवश्यकता है.’’


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