Delhi News: संसद की शीतकालीन सत्र के दौरान सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले में दिल्ली की अदालत में दो जनवरी को सुनवाई हुई. इस मामले में मुख्य आरोपियों में से एक नीलम आजाद की याचिका पर सुनवाई के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. बता दें कि 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में छह आरोपियों में से एक नीलम आजाद ने अदालत में याचिका दायर कर अदालत से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी. 


10 जनवरी को होगी अगली सुनवाई


याचिकाकर्ता नीलम ने दिल्ली पुलिस की हिरासत से तुरंत रिहाई की मांग की है. आजाद ने खुद की गिरफ्तारी को 'अवैध' करार देते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 22 (1) का उल्लंघन है. पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने मामले को 10 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है, क्योंकि अदालत द्वारा नियुक्त कानूनी सहायता वकील मौजूद नहीं थे. सभी छह आरोपी फिलहाल 5 जनवरी तक पुलिस हिरासत में हैं.


इस आधार पर नीलम ने खुद ​का किया बचाव


नीलम को तीन अन्य आरोपियों के साथ 13 दिसंबर को संसद परिसर से गिरफ्तार किया गया था और 21 दिसंबर को दिल्ली की एक अदालत ने उनकी पुलिस हिरासत 5 जनवरी तक बढ़ा दी थी. नीलम ने 21 दिसंबर के रिमांड आदेश की वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि उन्हें राज्य द्वारा 21 दिसंबर के रिमांड आवेदन की कार्यवाही के दौरान खुद का बचाव करने के लिए अपनी पसंद के कानूनी व्यवसायी से परामर्श करने की अनुमति नहीं दी गई थी. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उन्हें 29 घंटे बाद पेश किया गया, जो कानून के विपरीत था.


नीलम आजाद की याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता ने इस बात पर जोर देने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) में 'पसंद' और 'बचाव' शब्दों पर भरोसा किया है कि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि सरकार ने उसे अपना कानूनी प्रतिनिधित्व करने से रोका है. अदालत द्वारा एक वकील नियुक्त किया गया था, मगर उसे डीएलएसए से सबसे उपयुक्त वकील चुनने का अवसर नहीं दिया गया." अदालत ने पहले रिमांड आवेदन पर फैसला करके और फिर याचिकाकर्ता से यह पूछकर कि क्या वह अपनी पसंद के वकील द्वारा बचाव करना चाहती है, एक घातक त्रुटि की है.


दिल्ली पुलिस ने किया याचिकाकर्ता के दावों को विरोध 


नीलम की याचिका में यह भी कहा गया है, "इस प्रकार, संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत गारंटीकृत अधिकार का घोर उल्लंघन किया गया, जिससे 21 दिसंबर का रिमांड आदेश गैरकानूनी हो गया." दिल्ली पुलिस ने एक अदालत को बताया है कि मामले के आरोपी "कट्टर अपराधी" थे, जो लगातार अपने बयान बदल रहे थे. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और सुरक्षा चूक के मुद्दे की भी जांच कर रही है. पुलिस ने अदालत को सूचित किया था कि उन्होंने आरोपियों के खिलाफ आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवाद) और 18 (आतंकवाद की साजिश) शामिल की है.


आतंकी हमले की वर्षी के दिन सुरक्षा में लगाई थी सेंध


हुआ आतंकी हाईकोर्ट ने निचली अदालत गौरतलब है कि यह मामला 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले की 22वीं बरसी पर एक बड़ी सुरक्षा चूक से संबंधित है. इस मामले में दो युवक दर्शक दीर्घा से लोकसभा के फर्श पर कूद गए, उन्‍होंने पीला धुआं फैलाया और सरकार विरोधी नारे लगाए, जिसके बाद दो सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 22 दिसंबर को निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें दिल्ली पुलिस को सुनवाई की अगली तारीख यानी 5 जनवरी तक नीलम को एफआईआर की एक प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.


Weather Update: Delhi में सर्दी के सितम का है कुछ ऐसा कहर, मौसम विभाग को कहना पड़ा- 'जरूरी है तभी निकलें घर से बाहर'