Delhi News: अरविंद केजरीवाल की सरकार हमेशा लोगों को रोजगार देने और बेघर-गरीब लोगों को पनाह देने की बात करती आई है, उसी दिल्ली सरकार ने आज एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं. इसका असर यह हुआ है कि मजबूर लोगों के सिर से रैन बसेरा भी छिनने का खतरा मंडरा रहा है. ये, हम नहीं कह रहे बल्कि DUSIB डिपार्टमेंट ऑफिस के बाहर प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हजारों नाईट शेल्टर कर्मियों का ऐसा आरोप है. उन्हें बिना किसी कारण और बिना नोटिस के नौकरी से निकाल दिया गया है. जबकि वे वर्षों से पूरी ईमानदारी के साथ रैन बसेरों में अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं.


पीड़ितों से मिलने को तैयार नहीं DUSIB अफसर


दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि नाईट शेल्टर को बंद करने की साजिश के तहत शेल्टर कर्मियों को नौकरी से बाहर निकाला जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार लगातर उन एनजीओ के फंड में कटौती कर रही है, जो इन रैन बसेरों का संचालन कर रहे हैं. नतीजा यह सामने आ रहा है कि एनजीओ के संचालक अपने कर्मियों को नौकरी से निकालने लगे हैं. यही वजह है कि आईटीओ पर कार्यरत रैन बसेरा कर्मी सत्यजीत DUSIB के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करने पहुंच गए. अफसोस की बात यह है कि दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री और DUSIB के अधिकारियों ने उनसे मिलने तक स इनकार कर दिया. डीयूएसआईबी का यह रवैया दर्शाता है कि दिल्ली सरकार कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील हो गई है.


बीजेपी नेता ने दिल्ली सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली में पहले से ही सैकड़ों सामाजिक-धार्मिक संगठन धर्मार्थ धर्मशालाएं आदि चला रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि दिल्ली सरकार बेघरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है. अगर केजरीवाल सरकार इन रैन बसेरों को चलाने वाले एनजीओ को फंड नहीं दे सकती है, तो इन्हें उन सामाजिक-धार्मिक संगठनों को सौंप देना चाहिए, जो रैन बसेरा चलाने के लिए खुद धन जुटा सकती है.


हक के लिए जान देने के तैयार


बेवजह नौकरी से निकाले जाने को लेकर ITO स्थित DUSIB कार्यालय के बाहर आज प्रदर्शन कर रहे रैन बसेरा कर्मियों का गुस्सा दिल्ली सरकार और DUSIB अधिकारियों के खिलाफ फुट पड़ा. उन्होंने लगातार नारेबाजी कर उनके खिलाफ प्रदर्शन किया. कर्मियों का कहना है कि वे 10-10 साल से रैन बसेरों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कोविड—19 जैसे मुश्किल समय में भी उन्होंने अपनी और अपने परिवार की जान की परवाह किए बगैर अपने कर्तव्य का ईमानदारी से निर्वहन किया. इतने त्याग और समर्पण के बावजूद, उन्हें आज अचानक ही बेरोजगार कर सड़क पर ला दिया गया है. प्रदर्शन कर रहे नैनबसेरा कर्मियों का कहना है कि वे हार नहीं मानेंगे और अपने हक के लिए लड़ेंगे. अगर सरकार उनकी नौकरी उन्हें वापस नहीं देती है तो वे सभी एक साथ अपनी जान दे देंगे वो भी उसी रैन बसेरे में.