Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Vinai Kumar Saxena) ने 223 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में वन और वन्यजीव विभाग से जुड़े दिल्ली सरकार (Delhi Government) के दो अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई (CBI) जांच की अनुमति दे दी है. एक अन्य मामले में एलजी ने 60,000 रुपये के रिश्वत मामले में दिल्ली सरकार की ओर से संचालित अस्पताल की दो वरिष्ठ नर्सों के खिलाफ जांच करने के लिए एसीबी को अनुमति दी. दोनों मामलों में, एलजी ने भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 17A के तहत जांच के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है.


राज निवास के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने टिप्पणी की कि यह न्याय के हित में है कि आरोपियों के खिलाफ जांच की जाए. सीबीआई ने वन और वन्यजीव विभाग में तत्कालीन वरिष्ठ लेखा अधिकारी पारसनाथ यादव और सहायक लेखा अधिकारी आलम सिंह रावत के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश में शामिल होने के आरोप में मामला दर्ज किया था.


अधिकारियों पर क्या है आरोप?


दोनों पर आरोप है कि वे बैंक ऑफ बड़ौदा की पहाड़गंज शाखा के तत्कालीन वरिष्ठ शाखा प्रबंधक एल.ए. खान और अन्य के साथ आपराधिक साजिश में शामिल थे. आरोपी वन और वन्यजीव विभाग नाम से जारी जाली पत्र के आधार पर ‘सन्ड्राई’ खाते से उसी शाखा में दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के नाम पर एक फर्जी बचत खाते में 223 करोड़ रुपये ‘अवैध’ और ‘अनधिकृत’ तरीके से स्थानांतरित करने में शामिल थे.


दूसरे मामले में की गई थी रिश्वत की मांग


वहीं दूसरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की दो महिला कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आरोप लगाया है कि ‘आसान ड्यूटी’ के एवज पर उन्होंने दो नर्सिंग अधिकारियों से 60- 60 हजार रुपये की कथित रिश्वत की मांग की. आरोपियों की पहचान चंचल रानी पिसल्ला और रजनेश वर्मा के रूप में हुई है. दोनों घटना के समय गोविंद वल्लभ (जीबी) पंत अस्पताल में क्रमशः उप नर्सिंग अधीक्षक और नर्सिंग अधिकारी के रूप में तैनात थे. एक नर्सिंग अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि दोनों आरोपियों ने पहले ही कोविड- 19 डेस्क की ड्यूटी से छूट के लिए 42,000 रुपये ले लिए थे.


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