La Nina Impact: भारत में इस बार सर्दी के सीजन में ज्यादा ठंड पड़ने वाली है. मौसम विज्ञानियों के अनुसार, नवंबर के तीसरे हफ्ते से ही इसका असर देखने को मिलेगा और शीतलहर जैसी स्थिति रहेगी.


दरअसल इस साल 'ला नीना' के प्रभाव के कारण उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत में सर्दी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है. बताया जा रहा है कि 'ला नीना' सामान्य से अधिक तेजी से ठंडा हो रहा है.


दिल्ली सहित उत्तर भारत में पहले से ही तापमान में गिरावट के साथ-साथ प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में 'ला नीना' की वजह से ज्यादा ठंड पड़ने से उनकी परेशानी और ज्यादा बढ़ जाएगी. मौसम विज्ञानी के अनुसार इस साल मैदानी क्षेत्रों में रिकार्ड 'कम' तापमान की संभवना है और नवंबर-दिसंबर में सामान्य से अधिक ठंड पड़ने की उम्मीद है. वहीं जनवरी-फरवरी में उत्तरी क्षेत्र के कुछ जगहों में तापमान तीन डिग्री सेल्सियस तक गिर जाने के आसार हैं.


ला नीना का क्या है?


मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में होने वाले परिवर्तन से है. वैज्ञानिक भाषा में प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा से ऊपर 140 से 120 डिग्री के बीच के हिस्से को नीनो-3.4 रीजन कहा जाता है, जब इस क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से नीचे होता है तो इस स्थिति को ला-नीना कहते हैं. इससे दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है. इसकी वजह से अल नीनो की वजह से तापमान गर्म हो जाता है और ला नीना की वजह से ठंडा. ला नीना की वजह से भारत में भारी ठंड और बारिश की संभावना बढ़ जाती है.


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