Delhi News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन लोकसभा में ​ब्रिटिश विरासत में मिले कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किए. इन विधेयकों को लेकर शाह ने सदन में दावा किया कि नए प्रस्तावित कानून में राजद्रोह को खत्म कर दिया गया है, जबकि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है, लेकिन उनके इस बिल को लेकर कानून के जानकार अलग-अलग राय रख रहे हैं. देश की चर्चित अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने तीनों कानूनों में से एक यानी भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 (BNS 2023) प्रस्तावित ड्राफ्ट को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार पर तंज कसा है. 


कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता 2023 को राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने का एजेंडा करार दिया है. अपने इस आरोप के पक्ष में वो तीन तर्क गिनाते हैं. पहला यह कि बीएनएस 2023 राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कठोर पुलिस शक्तियों के इस्तेमाल की इजाजत देता है. दूसरा यह कि इसके पास होने पर पुलिस को किसी भी व्यक्ति को 15 से 60 या 90 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखने की अनुमति मिल जाएगी. तीसरा कारण बताते हुए वह कहते हैं कि यह राज्य की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने की एकतरफा शक्ति पुलिस को देता है. 



इस बात की आशंका से नहीं कर सकते इनकार


बता दें कि संसद के मानसून सत्र के अखिरी दिन गृह मंत्री ने लोकसभा में 3 विधेयक पेश किए. इनमें भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य बिल 2023 शामिल हैं. अगर भविष्य में ये विधेयक पास हुए तो ये आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे. इतना ही नहीं, विधेयक का कानून की शक्ल लेते ही पुलिस तंत्र नए कानूनों के हिसाब से आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ अपना लाइन आफ एक्शन तय करेंगी. कपिल सिब्बल का कहना है कि बीएनएस पास होने से पुलिस को ऐसी शक्तियां मिलेंगी जिसका इस्तेमाल सत्ताधारी दल द्वारा विरोधियों को दबाने के लिए भी किया जा सकता है. 


'इनका मकसद अगला लोकसभा चुनाव'


आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में बदलाव लाने वाले विधेयक पर आपत्ति जताते हुए वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा इससे पुलिस को ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे. राजद्रोह का कानून खत्म कर ज्यादा कठोर कानून बनाने की योजना हैं. अंग्रेजों ने गुलाम बनाए रखने के लिए कानून बनाए तो ये लोगों को फिर से गुलाम बनाने के लिए बदलाव ला रहे हैं. इनका असली मकसद अगला लोकसभा चुनाव है.


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