Delhi News: बाल विवाह (Child Marriage) एक अपराध है बावजूद इसके देश के कई अलग-अलग हिस्सों में आज भी मासूम बच्चों के विवाह की प्रथा जारी है. बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार समेत अलग-अलग संस्थाएं जागरूकता अभियान भी चलाती हैं. इसी कड़ी में देश की राजधानी दिल्ली में भी 'बाल विवाह मुक्त भारत' (Child Marriage Free India campaign) अभियान चलाया गया. कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) चिल्ड्रन फाउंडेशन और सहयोग केयर फाउंडेशन ने बाल विवाह के खिलाफ इस अभियान को चलाया.


देश के अलग-अलग राज्यों में निकाला गया मार्च


देश की राजधानी समेत देश के अलग-अलग राज्यों में इस अभियान को लेकर कैंडल मार्च निकाला गया. राजधानी दिल्ली में 109 जगहों पर दोनों संस्थाओं ने तमाम बच्चों और अन्य लोगों के साथ मिलकर बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता के लिए कैंडल मार्च निकाला. इस दौरान छोटे-छोटे बच्चे और महिलाएं हाथों में कैंडल और पोस्टर बैनर लेकर बाल विवाह एक अपराध के नारे लगाते हुए नजर आए.


इस अभियान को लेकर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि इस जागरूकता अभियान में अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल हुए. इसके साथ ही खास तौर पर ऐसी महिलाएं बाल विवाह के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नजर आए. जो कि खुद इस से प्रताड़ित हैं. इसके साथ ही स्लम एरिया की महिलाएं भी इस मशाल जुलूस में शामिल हुईं और बाल विवाह खत्म किए जाने को लेकर नारेबाजी की. दिल्ली के वसंत विहार, कुसुमपुर, चाणक्यपुरी संजय कैम्प जैसे अलग-अलग स्लम एरिया में बाल विवाह के खिलाफ हो कैंडल मार्च निकाला गया जिसमें तमाम महिलाएं और बच्चे शामिल हुए.


बाल विवाह से मुक्त नहीं राजधानी दिल्ली


बता दें देश की राजधानी में भी अभी तक बाल विवाह होते हैं. भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना के मुताबिक दिल्ली में 84,277 बाल विवाह हुए, जोकि पूरे देश में बाल विभाग का करीब 1 फ़ीसदी है. बाल विवाह के मामले में दिल्ली देशभर में 19वें स्थान पर है. वहीं पहले स्थान पर राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र जैसे राज्य हैं जहां पर सबसे ज्यादा आजतक बाल विवाह कराए जाते हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक महाराष्‍ट्र में 11,60,655 बाल विवाह हुए हैं. यह देश के कुल बाल विवाह का 10 फीसदी है. बाल विवाह के मामले में महाराष्‍ट्र देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है. 


क्या कहते हैं आंकड़े


इसके साथ ही नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे-5 के ताजा आंकड़े भी साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों की तस्‍दीक करते हैं. सर्वे के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिनका बाल विवाह हुआ है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि बाल विवाह एक गंभीर समस्‍या है और यह देश के सर्वांगीण विकास में बाधक है. इसी को देखते हुए नोबेल विजेता कैलाश सत्‍यार्थी ने ‘बाल विवाह मुक्‍त भारत’ अभियान का ऐलान किया है. 


तीन साल तक चलेगा अभियान


सहयोग केअर के निदेशक शेखर महाजन ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत 16 अक्टूबर से की गई है और इसे आने वाले 3 सालों तक चलाया जाएगा. हमने लक्ष्य रखा है कि आने वाले समय में 5000 गांव तक इस अभियान को लेकर जाया जाए और 2025 तक बाल विवाह की संख्या में 10 फीसदी की कमी लाई जाए, जो कि अभी 23.3 फ़ीसदी है. वहीं अब देश में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 साल के जाने का प्रस्ताव लाया गया है. जो कि बाल विवाह को खत्म करने के लिए एक अच्छी पहल है.


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