दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ चुनाव की हलचल अपने चरम पर है. कैंपस में दीवारों पर पोस्टर, जनसभाएं और बहसें चुनावी माहौल को और गर्म बना रही हैं. रविवार (2 नवंबर) को होने वाली प्रेसिडेंशियल डिबेट को लेकर छात्रों में खासा उत्साह देखने को मिला था. यह बहस प्रचार के आखिरी चरण की सबसे अहम कड़ी मानी जाती है. आज  “नो कैंपेन डे” रहा , जबकि किसी भी तरह का प्रचार नहीं किया जाता है.

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ये है चुनाव का पूरा शेड्यूल

जेएनयू में मतदान मंगलवार (4 नवंबर) को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होगा. इस बार भी चुनाव पारंपरिक तरीके से बैलेट पेपर के जरिए कराए जाएंगे. नतीजे गुरुवार (6 नवंबर) को घोषित किए जाएंगे. इस बार चुनाव में दो मुख्य धड़े आमने-सामने हैं. 

एक तरफ वामपंथी छात्र संगठनों का गठबंधन है, जो समावेशी और लोकतांत्रिक राजनीति को मुद्दा बना रहा है. दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) है, जो विकास और राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ मैदान में उतर रही है.

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वामपंथी गठबंधन के मुद्दे

वामपंथी गठबंधन ने कैंपस में महिला सुरक्षा, हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी और छात्रवृत्ति से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता दी है. इनका कहना है कि विश्वविद्यालय में छात्रों को आर्थिक और सामाजिक स्तर पर बराबरी का माहौल मिलना चाहिए. 

वहीं, एबीवीपी का जोर कैंपस में सुविधाओं के सुधार और छात्रों की जवाबदेही वाली राजनीति पर है. संगठन का दावा है कि उसने पिछले कार्यकाल में हॉस्टल सुविधाओं, बस सेवा और अन्य बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया है.

छात्र राजनीति की दिशा तय करते हैं चुनाव

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव हमेशा से विश्वविद्यालय की राजनीतिक संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं. यहां होने वाले चुनाव अक्सर देशभर की छात्र राजनीति की दिशा तय करते हैं. इस बार भी कैंपस के भीतर लोकतांत्रिक मूल्यों, छात्र अधिकारों और समान अवसरों पर गहन बहस हो रही है.

चुनाव आयोग ने सभी उम्मीदवारों और संगठनों से शालीनता और नियमों के पालन की अपील की है. विश्वविद्यालय प्रशासन भी मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और पारदर्शी बनाने की तैयारी में जुटा है. छात्रों के अनुसार, यह चुनाव सिर्फ प्रतिनिधियों को चुनने का अवसर नहीं, बल्कि कैंपस की विचारधारा और भविष्य की दिशा तय करने का मौका भी है.

मैदान में हैं कुल 20 प्रत्याशी 

इस बार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में होने वाले छात्रसंघ चुनाव 2025 के लिए कुल 20 प्रत्याशी मैदान में हैं. ये उम्मीदवार छात्रसंघ के चार मुख्य पदों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. जिसमें अध्यक्ष (President), उपाध्यक्ष (Vice-President), महासचिव (General Secretary) और संयुक्त महासचिव (Joint Secretary) के पद के लिए चुनाव होगा.

बता दें, अध्यक्ष पद के लिए इस बार 7 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. उपाध्यक्ष पद पर 5 प्रत्याशी, महासचिव पद पर 6 प्रत्याशी और संयुक्त महासचिव पद पर 5 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इनके अलावा विश्वविद्यालय के 18 स्कूलों और केंद्रों में काउंसलर पद के लिए कुल 111 नामांकन दाखिल किए गए हैं.

बैलेट पेपर से ही होगा चुनाव 

इस बार का चुनाव पहले की तरह पारंपरिक तरीके से बैलेट पेपर से होगा. मतदान 4 नवंबर को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा, जबकि मतगणना के बाद परिणाम 6 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. रविवार को हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट (अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों की खुली बहस) को लेकर कैंपस में काफी उत्साह दिखा. यह बहस प्रचार अभियान के अंतिम दिन आयोजित की जाती है, जिसके बाद “नो-कैंपेन डे” रहा .

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव हमेशा से विश्वविद्यालय की राजनीति और देशभर के छात्र आंदोलनों के लिए अहम माने जाते हैं. इस बार भी कैंपस में विचारधाराओं, छात्र अधिकारों और समान अवसरों को लेकर जोरदार बहसें जारी हैं.