दिल्ली में हाल ही में इंडिगो फ्लाइट की देरी और अव्यवस्था को लेकर यात्रियों में नाराजगी बढ़ी हुई है. इसी मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अनिल देसाई ने केंद्र सरकार और एयरलाइन कंपनियों को कठघरे में खड़ा किया है.

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उन्होंने साफ कहा कि उड़ान संचालन में बार-बार होने वाली समस्याओं के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जिनमें धुंध (स्मॉग) भी एक कारण है, लेकिन इसके साथ ही एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रबंधन की खामियों के लिए सरकार भी जिम्मेदार है.

इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त नहीं, तो जिम्मेदारी सरकार की भी- अनिल देसाई

अनिल देसाई ने कहा कि अगर हमारे देश का एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह सक्षम नहीं है, तो उसकी जिम्मेदारी सिर्फ यात्रियों पर नहीं थोपी जा सकती. फ्लाइट कैंसिलेशन या देरी का पूरा खामियाजा आम यात्री झेलता है न सिर्फ समय का, बल्कि आर्थिक नुकसान भी.

नो-शो नियम से यात्रियों की जेब पर भारी मार

उन्होंने एयरलाइन कंपनियों के 'नो-शो' नियम पर भी सवाल उठाए. देसाई ने कहा कि जब कोई यात्री टिकट रद्द करने जाता है, तो उसे रिफंड लगभग शून्य के बराबर मिलता है. वहीं, कैंसिलेशन चार्ज इतने भारी हैं कि आम लोग परेशान हो जाते हैं.

सरकार ने 48 घंटे पहले तक कैंसिलेशन चार्ज न काटने की नीति लागू करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन सांसद ने कहा कि अब तक यह नियम लागू नहीं किया गया, जिससे यात्रियों को किसी तरह की राहत नहीं मिल रही.

हवाई यात्रा अब लग्जरी नहीं- अनिल देसाई 

अनिल देसाई ने कहा कि आज के दौर में एयर ट्रैवल आम लोगों की जरूरत बन चुकी है, यह सिर्फ अमीरों की सुविधा नहीं रही. डॉक्टरों की अपॉइंटमेंट, नौकरी, बिजनेस, इमरजेंसी और पढ़ाई जैसी वजहों से लोगों के पास हवाई यात्रा के अलावा विकल्प नहीं रहता. ऐसे में एयरलाइनों का रवैया और अधूरी सरकारी नीतियां यात्रियों को और परेशान कर रही हैं.

मामला संसद में उठाया जाए- देसाई

अनिल देसाई ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे को संसद में प्राथमिकता से उठाए, ताकि एयरलाइन कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाई जा सके और एक पारदर्शी नियमावली बनाई जा सके. उन्होंने कहा कि यात्रियों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और अब समय आ गया है कि सरकार सख्त कदम उठाए.

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