Delhi News: दिल्ली की वायु गुणवत्ता (Delhi Air Pollution:) गुरुवार को बहुत खराब और गंभीर श्रेणी के बीच रही. ऐसा इसीलिए कि प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण प्रदूषक कणों का बिखराव नहीं हो पाया. दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान-कानपुर (IIT Kanpur claims) की एक संयुक्त परियोजना के हालिया निष्कर्षों से पता चला कि बुधवार को राजधानी के वायु प्रदूषण (Air Pollution) में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान लगभग 38 प्रतिशत था. बृहस्पतिवार को यह आंकड़ा 40 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है.


दूसरे नंबर पर इन प्रदूषकों का योगदान ज्यादा


माध्यमिक अकार्बनिक एयरोसोल, सल्फेट और नाइट्रेट जैसे कण जो बिजली संयंत्रों, रिफाइनरियों और वाहनों जैसे स्रोतों से गैसों और कण प्रदूषकों की परस्पर क्रिया के कारण वायुमंडल में बनते हैं. दिल्ली की हवा में प्रदूषण के दूसरे प्रमुख योगदानकर्ता हैं. पिछले कुछ दिनों में शहर के प्रदूषण में माध्यमिक अकार्बनिक एयरोसोल का योगदान 30 से 35 प्रतिशत रहा है.


प्रदूषण से अभी राहत की न करें उम्मीद


भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि हवा नहीं चलने और कम तापमान के कारण प्रदूषक तत्व हवा में बने हुये हैं और अगले कुछ दिन तक भी राहत के आसार नहीं हैं. दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गुरुवार को सुबह नौ बजे 393 रहा. इसका 24 घंटे की अवधि का औसत एक्यूआई बुधवार शाम 4 बजे 401 दर्ज किया गया था. मंगलवार को यह 397 था. सोमवार को यह 358 और रविवार को 218, शनिवार को 220, शुक्रवार को 279 था. दिल्ली से सटे गाजियाबाद (358), गुरुग्राम (325), ग्रेटर नोएडा (343), नोएडा (337) और फरीदाबाद (409) में भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई.


बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब', 401 से 450 के बीच 'गंभीर' और 450 से ऊपर 'अत्यधिक गंभीर' माना जाता है.


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