Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली में साल 2017 और उससे पहले मिलाकर करीब चार हजार दुकानों को एमसीडी द्वारा सील कर दिया गया था. दिल्ली सरकार व्यापारियों के हित में एक नीति बना कर सील को हटाने (डी-सील) के लिए तैयार हो गई है. जानकारी के मुताबिक जल्द ही सील हुई दुकानों की सीलिंग खुलने की उम्मीद है. इसे लेकर अब केवल नगर निगम को फैसला करना है. बताया जा रहा है कि सरकार के निर्देश पर निगम, न्यूनतम जुर्माने के साथ सील हटाने पर सहमत हो गया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मसले को लेकर कारोबारी संगठनों के साथ पहली दौर की बातचीत कर चुके हैं. अब जल्द ही दिल्ली की मेयर डॉ. शैली ओबरॉय और अन्य अधिकारियों के बीच बैठक होनी है, जिसके बाद इस मसले पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.


बता दें कि वर्ष 2012 के बाद निगम ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक संपत्तियों को सील किया था. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनी कमेटी का हवाला देकर सीलिंग की गई थी. वहीं व्यापारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन संपत्तियों को सील करने के लिए कहा था जो अवैध तरीके से बनी या स्वीकृत मानचित्र से अतिरिक्त निर्माण कर बनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नाम पर अवैध तरीके से भी संपत्तियों को सील किया गया. इसे लेकर व्यापारियों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, परंतु यह प्रक्रिया इतनी लंबी हो गई कि उसके बाद सील की गई संपत्तियों पर जुमनि की राशि बढ़कर आठ से 10 गुना तक हो गई. ऐसे में व्यापारी भारी भरकम जुर्माना जमा करने में सक्षम नहीं हैं, जिसके चलते सील खुल नहीं सकी. एक अधिकारी ने बताया कि सरकार व्यापारियों की मांग पर सहमत है कि एक न्यूनतम जुर्माने के बाद इन्हें खोलने की इजाजत दे दी जाए. फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन परमजीत सिंह पम्मा कहते हैं कि 2018 में एमसीडी ने नियमों में संशोधन किया था, जिसमें कहा गया कि जो संपत्ति कमर्शियल यू जोन में आती हैं, उनसे कन्वर्जन शुल्क नहीं लिया जाएगा. सील दुकानों को डी-सील किया जाएगा.


अवैध तरीके से सीलिंग का आरोप


 डिफेंस कॉलोनी स्थित बाजार में 22 दिसंबर 2017 को एक साथ 41 दुकानों को निगम ने सील किया था. स्थानीय व्यापारी जगदीश गुप्ता कहते है कि 1971 में दुकान ली थी, जिसकी सीलिंग के समय कीमत करीब तीन करोड़ रुपये थी, जिसमें कपड़े का शोरूम चल रहा था. हमारा पूरा बाजार व्यावसायिक था, जो मास्टर प्लान के तहत स्वीकृत हुआ. शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से इस बाजार को बेचा गया था, जिस समय एमसीडी भी नहीं थी, लेकिन 2017 में एमसीडी ने कन्वर्जन चार्ज बताकर सील लगा दी.


सदर बाजार में भी कई संपत्तियों सील


मास्टर प्लान के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर किसी क्षेत्र में 70 फीसदी से अधिक आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां हो रही हैं तो उसे व्यावसायिक क्षेत्र ही माना जाएगा, लेकिन सदर बाजार के मामले में ऐसा नहीं किया गया. जनवरी में करीब 25 भवनों में चल रही दुकानों को आवासीय क्षेत्र बताकर सील कर दिया गया. अब एमसीडी के अधिकारी भी मानते हैं कि सीलिंग करने में जल्दबाजी की गई लेकिन अब सीलिंग हो गई है तो उसे नियमों के तहत ही खोला जा सकता है.


दिल्ली सरकार ट्रेडर्स राहत देने के पक्ष में


एमसीडी द्वारा सील की गई दुकानों को सरकार खोलने के पक्ष में है. चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि सरकार चाहती है कि व्यापारियों को राहत मिले. बीते दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ व्यापारियों ने चर्चा की थी, जिसमें उन्होंने भरोसा दिया कि सरकार उन्हें राहत देने की दिशा में काम कर रही है. उसके बाद नगर निगम से भी कहा गया है कि वो अलग से नीति बनाकर इन दुकानों को जल्द से जल्द खोलने का काम करे.


दिल्ली सीलिंग से प्रभावित हुए थे ये बाजार 
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में एमसीडी ने सीलबंदी की थी. सीलबंदी की वजह से ग्रीन पार्क, एन-ब्लॉक ग्रेटर कैलाश, हौजखास, राजेंद्र नगर, सदर बाजार, रोहिणी, गांधी नगर, महिपालपुर समेत अन्य इलाकों के कारोबारी प्रभावित हुए थे. 


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