DUSU Election 2023: राजधानी में दिल्ली यूनिवर्सिटी का शुमार न सिर्फ देश के प्रतिष्ठित विश्विद्यालयों में होता है. इन दिनों छात्र चुनावों को लेकर यहां सियासत तेज है. कोरोना के कारण दिल्ली यूनिवर्सिटी में चार साल बाद छात्र संघ (DUSU) के चुनाव हो रहे हैं. शुक्रवार (22 सितंबर) को हुए चुनाव को छात्रों में काफी उत्साह दिखा. इसके नतीजे शनिवार (23 सितंबर) दोपहर तक आने की संभावना की है. रिजल्ट के बाद अगले एक साल के लिए यूनिवर्सिटी को नया अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव मिलेंगे, जो छात्रों की समस्याओं कॉलेज प्रशासन के सामने रखेंगे. 


दिल्ली यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को हुए चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले छात्रों में विशेष उत्साह देखने को मिला. इस दौरान यूनिवर्सिटी से संबंधित 52 कॉलेजों और विभागों के छात्रों ने मतदान किया, इस चुनाव में कुल 42 फीसदी छात्रों ने चुनाव में मतदान किया. इस चुनाव में आरएसस से संबंधित संगठन एबीवीपी, कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई, आप की सीवाईएसएस और वाम मोर्चा ग्रुप आईसा सहित कई संगठनों के 24 से अधिका उम्मीदवार मैदान में है. छात्रों के मुताबिक, आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले डूसू के चुनाव युवाओं के मूड को परखने का राजनीतिक पार्टियों के पास मौका होता है. 


डूसू के छात्र नेताओं की सियासी भूमिका


दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में इस बार मुख्य मुकाबला एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच माना जा रहा है. पिछली बार के मुकाबले इस बार अधिक मतदान हुआ, उम्मीदवारों ने चुनाव में जमकर प्रचार प्रसार किया. दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव पूरा देश यूं ही नहीं देखता है, इसका देश की सियासत में हमेशा से दखल रहा है. छात्र संघ चुनाव ने देश को कई कद्दावर नेता दिये हैं, जिन्होंने संबंधित पार्टियों के अलावा प्रदेश और केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण ओहदों पर काम चुके हैं या कर रहे हैं. आईये जानते हैं उनमें से कुछ नेताओं के नाम-



  • बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने केंद्र सरकार कई अहम विभागों में काम किया है. उन्होंने साल 1974 में दिल्ली छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए और वे चुनाव जीतने कामयाब भी रहे. अरुण जेटली आपातकाल के दौरान जेल भी गये. उन्होंने छात्र नेता से केंद्रीय वित्त मंत्री तक का सफर तय किया.

  • स्वर्गीय अरुण जेटली की तरह बीजेपी नामचीन नेताओं में शुमार विजय गोयल भी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र रहे हैं. विजय गोयल दिल्ली यूनिवर्सिटी में साल 1977-78 अध्यक्ष रहे. बीजेपी में विजय गोयल ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. जेपी आंदोलन के समय विजय गोयल जेल भी गये. लाल 2013 में बीजेपी ने उन्हें दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. इसके अलावा वह एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहते हुए कई अहम विभागों की जिम्मेदारी निभाई.

  • रागिनी नायक का शुमार दिल्ली में कांग्रेस की सशक्त महिला नेत्री में होता है. वह वर्तमान में कांग्रेस की प्रवक्ता हैं. उन्होंने साल 2005-06 में दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ में अध्यक्ष के पद के लिए प्रतिभाग और वह चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. रागिनी नायक को दिल्ली विधानसभा चुनाव में जनकपुरी निर्वाचन सीट से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था. हालांकि वह चुनाव जीतने में नाकाम रही थी. साल 2014 में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रवक्ता बनाया गया.

  • अलका लांबा ने साल 1995 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ की अध्यक्ष रहीं. पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया और 20 सालों तक कांग्रेस में दिल्ली प्रदेश समिति की महासचिव और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव पद पर रह चुकी हैं. हालांकि उन्होंने साल 2013 में आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लिया और साल 2015 में चांदनी चौक सीट से विधायक चुनी गई. हालांकि बाद में उन्होंने दोबार आप का दामन छोड़ कांग्रेस ज्वाइन कर लिया.

  • अमृता धवन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के भारती कॉलेज से ग्रेजुएशन और फिर कानून की पढ़ाई की है. इस दौरान वह साल 2004 में छात्रसंघ की सचिव, साल 2005 में उपाध्यक्ष और 2006 में अध्यक्ष बनीं. अमृता धवन की सियासी समझ को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें प्रवक्ता बनाया है. 


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