Doctors Strike in New Delhi: देश की राजधानी दिल्ली में डॉक्टरों की पिछले 9 दिनों से जारी है. हड़ताल से इलाज के अभाव में मरीज मारे-मारे फिर रहे हैं.  लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है. ऐसे में सवाल डॉक्टर और सरकार दोनों पर उठ रहे हैं. सवाल ये कि कोरोना के इस काल में ऐसी हड़ताल जायज है और क्या सरकार का हड़ताल से कोई लेना-देना नहीं है? आखिर सरकार ने इस हड़ताल पर चुप्पी क्यों साधी हुई है ? क्योंकि कोरोना की अगर तीसरी लहर आती है तो हालात बेकाबू हो सकते हैं.


मांगें पूरी नहीं हुई तो सामूहिक इस्तीफा
वहीं रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के एक संघ ने नीट-पीजी 2021 की काउंसलिंग में देरी पर अपना आंदोलन तेज करते हुए शनिवार को कहा कि अगर उनकी मांगें जल्द से जल्द पूरी नहीं हुईं तो उसके सदस्यों को सेवाओं से ‘सामूहिक इस्तीफा’ देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. दिल्ली के कई रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी शनिवार को यहां अपना विरोध दर्ज कराते हुए ‘दिया’ जलाया, जबकि शहर में विभिन्न अस्पतालों में मरीजों की देखभाल प्रभावित रही. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) पिछले कई दिनों से प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है.


अब तक नहीं उठाए गए कोई ठोस कदम
फोर्डा ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि भविष्य के आंदोलन पर चर्चा करने के लिए विभिन्न राज्यों के रेजिडेंट डॉक्टर संघों के प्रतिनिधियों के साथ शाम को फोर्डा ने एक डिजिटल बैठक बुलाई थी. इसने कहा, ‘‘चूंकि संबंधित मामले में अधिकारियों द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, इसलिए सर्वसम्मति से आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया गया. बैठक के दौरान यह भी चर्चा हुई कि अगर मांग जल्द से जल्द पूरी नहीं की जाती है तो देश भर में प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर सेवाओं से सामूहिक इस्तीफे पर आगे बढ़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे.’’


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