आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता दिलीप पांडे ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा कि दिल्ली में बच्चे और उनके माता-पिता डरे और घबराए हुए रहते हैं. लोगों के अंदर खौफ का वातावरण है. AAP नेता ने एनसीआरबी के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली में सबसे ज्यादा क्राइम हो रहे हैं. दिल्ली को गैंग्स ऑफ वासेपुर बना रखा है.
दिलीप पांडेय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ''बीजेपी कैसा समाज बना रही है. सुबह-सुबह बच्चे स्कूल जाने से घबराएं, स्कूल चले जाएं तो उनके अभिभावक, उनके माता-पिता घर में बैठकर डरते रहें. सुबह शाम उनके माता-पिता किसी पार्क में टहलने निकल जाएं तो वहां ब्लेडबाजी, छिनैती से घबराते रहें और जब वो बाहर निकलें तो उनके बुजुर्ग माता-पिता घरों के अंदर हैं तो इस खौफ में रहें कि उनकी भी हत्या हो सकती है. दिल्ली के अंदर कैसा वातावरण बन चुका है?''
'दिल्ली को गैंग्स ऑफ वासेपुर बना रखा है'
आप नेता ने कहा, ''दिल्ली के अंदर ऐसा वातावरण बन गया है, जैसे लगता है कि कोई वेबसीरीज चल रही है. हमने देखा भी दिसंबर के महीने में क्या हुआ? खुलेआम गैंगवार हुए. गुंडे धमकियां दे रहे हैं, उनके ऑडियो-वीडियो वायरल हो रहे हैं. कोई किसी को चाकू मार दे रहा है. कोई किसी की पीट-पीटकर हत्या कर दे रहा है. ये क्या चल रहा है? आपने दिल्ली को गैंग्स ऑफ वासेपुर बना रखा है. आपने दिल्ली को गुंडई की जगह बनाकर रखा है कि आइए यहां गुंडागर्दी कीजिए, मारो पीटो, कोई कुछ नहीं करेगा.''
दिल्ली में अपराध सबसे ज्यादा- दिलीप पांडे
उन्होंने आगे कहा, ''दिल्लीवालों ने ऐसे दिल्ली तो नहीं चाही थी, ऐसी अपेक्षा तो नहीं की थी. हम अगर ओवर ऑल भी दिल्ली में कानून व्यवस्था की बात करें तो पूरे देश के अंदर प्रति एक लाख पर जो अपराध का आंकड़ा है, वो दिल्ली में किसी भी सिटी या मेट्रो सिटी की तुलना में सबसे ज्यादा है. ये मैं नहीं कह रहा हूं, बल्कि एनसीआरबी का आंकड़ा है. दिल्ली में प्रति एक लाख रेसिडेंट एक हजार आठ सौ बत्तीस आपराधिक मामले दर्ज हुए. इसके अलावा हम राष्ट्रीय अपराध औसत की भी बात करें तो भी दिल्ली उनसे साढ़े आठ फीसदी आगे है. ये बीजेपी के शासनकाल में कानून व्यवस्था की उपलब्धि है.
'सियासत से ऊपर आदमी की जान होती है'
'आप' के पूर्व विधायक ने ये भी कहा, ''आग्रह करते-करते हम परेशान हो गए कि आप हमको इकट्ठा फांसी पर चढ़ा दीजिए. ये क्यों किश्तों में जो जांच एजेंसियां हैं, उनका ध्यान भटकाकर, जो काम उन्हें करना चाहिए, वो नहीं करने दे रहे हैं. इकट्ठा सभी को जेल में ठूंस दीजिए और उसके बाद कम से कम दिल्ली वालों को सुरक्षित महसूस करवा दीजिए. तब भी हम कहेंगे कि आपने कम से कम एक काम तो ठीक से कर लिया. हम आग्रह करते हैं कि दिल्ली वालों के मन में जो भय है, उसे दूर करें. सियासत से ऊपर आदमी की जान होती है, उस जान की परवाह कीजिए. सियासत फिर कभी कर लीजिएगा.