Delhi Zoo: दिल्ली का चिड़ियाघर 1 मार्च से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है चिड़ियाघर में वीक डेज में जहां 4000 लोग प्रतिदिन पहुंच रहे हैं तो वहीं वीकेंड पर 7000 लोग जानवरों का दीदार करने के लिए जा रहे हैं. दिल्ली के चिड़ियाघर में अलग-अलग प्रकार के सभी जानवर और पक्षी मौजूद हैं, जिन्हें देखकर शहरों में रहने वाले लोग बेहद ही उत्साहित होते हैं. और सबसे ज्यादा चिड़ियाघर में शेर और बाघ दो ऐसे जानवर हैं जिन्हें देखना लोग बेहद पसंद करते हैं और इन्हें देखकर बहुत ज्यादा एक्साइटेड होते हैं ऐसे में हम आपको बताते हैं कि चिड़ियाघर में कुल कितने शेर और टाइगर हैं.


चिड़ियाघर में बचे है केवल 5 शेर और 4 येलो टाइगर
जानकारी के मुताबिक मौजूदा समय में दिल्ली के चिड़ियाघर में करीब 5 शेर और 4 येलो टाइगर बचे हैं, जबकि पहले इनकी संख्या दर्जनों में थी. एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक नेशनल जूलॉजिकल पार्क में पिछले करीब ढाई साल के दौरान आधा दर्जन शेर और टाइगर की मौत हो चुकी है. जिसके बाद दिल्ली के चिड़ियाघर में करीब 5 शेर और 4 टाइगर है. चिड़ियाघर में सुंदरम नाम का एक बूढ़ा शेर है जिसकी उम्र करीब 15 साल है इसके अलावा महेश्वर, शैलजा, महागौरी समेत पांच शेर है. इसके साथ ही येलो टाइगर  की संख्या 4 है जिसमें एक नर और तीन मादा टाइगर है.


पिछले ढाई सालों में हो चुकी है आधा दर्जन शेर और टाइगर की मौत
वही चिड़ियाघर प्रशासन के मुताबिक सितंबर 2019 से 10 जनवरी 2022 तक पिछले ढाई सालों में करीब आधा दर्जन शेर और टाइगर की मौत हो चुकी है, जिसमें अधिकतर शेर और टाइगर के मरने का कारण किडनी से जुड़ी बीमारियां बताई गई हैं. आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में 8 साल की जवान बंगाल टाइगर रामा की मौत हो गई थी, जिसकी मौत का कारण मल्टीप्ल ऑर्गन फैलियर बताया गया था, रामा को मैसूर चिड़ियाघर से साल 2014 में दिल्ली लाया गया था, जिसके बाद साल 2020 में एक 14 साल की टाइगर कल्पना की मौत हो गई थी, जिसके बाद एक 9 साल की अकीला और जंगल से लाए गए इकलौते बिट्टू नाम के टाइगर की नवंबर 2020 को भी मौत हो गई, इनकी मौत का कारण कारण किडनी डिसऑर्डर बताया गया था. बिट्टू को साल 2014 में मध्यप्रदेश के भोपाल से लाया गया था


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मरने वाले टाइगर में बंगाल टाइगरों की संख्या ज्यादा
जिन चार टाइगर की मौत हुई उनमें यलो बंगाल टाइगर ज्यादा थे, जिनकी संख्या देश में पहले से ही कम है इन चार टाइगर के अलावा मई 2021 में अमन नाम के एक जवान शेर की भी मौत हो गई, जिसकी मौत का कारण कार्डियक अटैक बताए गया था जिसे साल 2015 में दिल्ली के चिड़ियाघर में लाया गया था और 10 जनवरी 2022 को हेमा नाम की जवान शेरनी की भी मौत हो गई, सीमा को भी अमन के साथ ही साल 2015 में चिड़ियाघर में लाया गया था, हालांकि आधिकारिक तौर पर इस शेरनी की मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है, लेकिन जानकारी के मुताबिक यह शेरनी लंबे समय से बीमार चल रही थी, जिसका इलाज चिड़ियाघर में ही वेटनरी अस्पताल में किया जा रहा था इसके अलावा साल 2020 में मई महीने में सीता नाम की टाइगर के मुंह में मीट खाते समय इंफेक्शन हो गया था जिसका इलाज के लिए इंडियन वेटरनरी रिसर्च सेंटर, बरेली से डॉक्टरों को बुलाना पड़ा था.


मीट के कारण हो रहे बीमार
पिछले 2 सालों में टाइगर और शेरों की मौत के बाद जानवरों को दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता पर भी कई सवाल उठ चुके हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की एनिमल ऑर्गेनाइजेशन के ट्रस्टी गौरी मुलेखी ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि चिड़ियाघर में जानवरों को दिए जाने वाले मीट की क्वालिटी चेक की जानी चाहिए, क्योंकि खराब मास कई बीमारियां लेकर आता है और पिछले ढाई सालों में टाइगर और शेरों की मौत के जो कारण सामने आए हैं उसको लेकर इसकी जांच होनी चाहिए, क्योंकि अधिकतर ऐसे जानवरों की मौत किडनी संबंधी रोग या मल्टीपल ऑर्गन डिसऑर्डर के जरिए हुई है, जिसका यही कारण है कि इन जानवरों को दिया जाने वाला मीट घटिया क्वालिटी का हो सकता है जिसे खाकर जानवर बीमार पड़ रहे हैं.


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