दिल्ली सरकार ने राजधानी की प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए 11 की जगह अब 13 नए राजस्व जिलों के गठन को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया. सरकार का कहना है कि इससे दिल्ली में शासन और ज़्यादा सुचारू, तेज़ और नागरिकों के करीब होगा.
सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि यह काम कई सालों से लंबित था, लेकिन किसी भी सरकार ने इसे सुलझाने की कोशिश नहीं की. हमारी सरकार ने सिर्फ 10 महीनों में इस समस्या को दूर कर दिया. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन के विज़न को जमीन पर उतारने वाला बड़ा कदम है.
पुराने जिलों पर था काम का बोझ
दिल्ली की आबादी लगातार बढ़ रही है. नए मोहल्ले, नई कॉलोनियां बन रही हैं और नागरिक सेवाओं की मांग बढ़ रही है. ऐसे में पुराने जिलों पर काम का बोझ भी तेजी से बढ़ गया था. शिकायतों का तेजी से निस्तारण, जमीन से जुड़े काम, निर्माण अनुमतियां, वसूली, पंजीकरण जैसे काम समय पर नहीं हो पाते थे. दिल्ली जैसे बड़े महानगर में यह ज़रूरी था कि प्रशासन को छोटे और संतुलित हिस्सों में बांटा जाए, ताकि अधिकारी लोगों तक जल्दी पहुंच सकें और सेवाएं तेज़ी से मिल सकें.
कई सालों से यह समस्या थी कि दिल्ली के राजस्व जिलों की सीमा, MCD जोन, NDMC और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमाओं से मेल नहीं खाती थीं. इसके अलावा फाइलें भटकती थीं, शिकायतों में भ्रम रहता था, किस विभाग को कार्रवाई करनी है, यह भी साफ नहीं होता था और भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में समस्याएं आती थीं
जिलों की संख्या बढ़ाने से क्या होंगे लाभ?
अब नए 13 जिलों की सीमाएं पूरी तरह MCD, NDMC और कैंटोनमेंट बोर्ड से मेल खाएंगी. इससे काम तेज होगा और विभागों के बीच तालमेल सुधरेगा. नई व्यवस्था के तहत अब दिल्ली में 13 जिले, 39 सब-डिविजन और सभी जिलों में एक-एक मिनी सचिवालय बनाया जाएगा. इन मिनी सचिवालयों में एक ही इमारत में SDM, ADM, तहसील, उप-पंजीयक कार्यालय और राजस्व से जुड़ी सभी सेवाएं मिल जाएंगी. नागरिकों को अलग-अलग इमारतों में चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.
संपत्ति रजिस्ट्रेशन को आसान बनाने के लिए सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों की संख्या भी बढ़ा दी गई है. अब ये कार्यालय सीधे सब-डिविजन से जुड़े होंगे, जिससे जमीन और मकान का पंजीकरण तेजी से होगा, रिकॉर्ड डिजिटलीकरण में सुधार आएगा और नागरिकों को दूर-दूर जाकर रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पड़ेगा.
सरकार का दावा है कि इस बड़े बदलाव से सेवाएं और तेज मिलेंगी, प्रशासन नागरिकों के और करीब आएगा, शिकायतों का निपटारा जल्दी होगा, अधिकारियों पर काम का बोझ कम होगा, सीमाओं का भ्रम खत्म होगा, नागरिकों को साफ रहेगा कि उनका काम किस कार्यालय में होगा, MCD, NDMC और राजस्व विभाग का तालमेल मजबूत होगा और आपदा प्रबंधन, शहरी योजना और भूमि रिकॉर्ड को बेहतर बनाया जा सकेगा
दिल्ली में आखिरी बार ऐसा बड़ा प्रशासनिक पुनर्गठन 2012 में हुआ था, जब जिले 9 से बढ़ाकर 11 किए गए थे. आबादी और शहरी विस्तार के साथ दिल्ली में स्थानीय प्रशासन को मजबूत बनाने की मांग पिछले कई वर्षों से उठती रही थी. कई समितियों ने भी सुझाव दिया था कि छोटे जिले बनाकर शासन को नागरिकों के नज़दीक लाया जाए. अब 13 जिलों की नई व्यवस्था राजधानी में प्रशासन को नई दिशा दे सकती है.
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह कदम दिल्ली की प्रशासनिक प्रणाली को आधुनिक, पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा. सरकार का दावा है कि इससे लोगों की ज़िंदगी आसान होगी और सरकारी सेवाएं ज़्यादा तेज़, सरल और विश्वसनीय बनेंगी.