Delhi News: दिल्ली विश्वविद्यालय अपने 20 प्रतिशत तक पाठ्यक्रम स्वयं पोर्टल पर ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध करा सकता है. इस संबंध में एक प्रस्ताव 30 नवंबर को होने वाली बैठक के दौरान अकादमिक परिषद के समक्ष रखा जाएगा. प्रस्ताव के अनुसार कॉलेज एक सेमेस्टर में किसी पाठ्यक्रम में उसका 20 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन माध्यम से मुहैया कराने पर विचार कर सकता है. 


ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई को लेकर तैयार प्रस्ताव में कहा गया कि संस्थान में पठन-पाठन में इसका लाभ यूनिवर्सिटी के छात्रों सहायता प्रदान करेगा. हालांकि, जीसस मेरी कॉलेज की सहायक प्राध्यापक माया जॉन ने कहा कि इस प्रस्ताव का अकादमिक परिषद के सदस्यों के एक बड़े हिस्से द्वारा विरोध किये जाने की उम्मीद है. विरोध करने वालों को लगता है कि ऑनलाइन पठन-पाठन से विश्वविद्यालय में रोजगार सृजन जोखिम में पड़ जाएगा. 


ऑफलाइन ज्यादा मुफीद


माया जॉन के मुताबिक अकादमिक परिषद के लगभग 90 प्रतिशत सदस्य इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे, क्योंकि यह छात्र एवं शिक्षक विरोधी कदम है. अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने वाले कई छात्रों के लिए कक्षा में शिक्षण बहुत महत्वपूर्ण है. इससे प्राध्यापकों की आवश्यकता पर भी असर पड़ेगा, जिनकी जगह ‘स्वयम’ पर ऑनलाइन शिक्षण ले लेगा. 


NEP का लक्ष्य जीआरई हासिल करना


बता दें कि यह प्रस्ताव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है. एनईपी 2020 का लक्ष्य स्वयम मंच द्वारा प्रस्तावित ऑनलाइन पाठ्यक्रम की मदद से 2035 तक उच्च शिक्षा में 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीआरई) हासिल करना है. बता दें कि एनईपी 2020 में शिक्षा व्यवस्था को रचनात्मक बनाने, स्वयं के ज्ञान-विज्ञान और ढांचागत बदलाव के साथ वैचारिक व राष्ट्रीयता के पहलुओं के समावेश पर भी जोर देता है. मोदी सरकार ने एनईपी को 2030 तक देशभर में लागू करने का लक्ष्य रखा है.


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